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क्या अमावस्या को तेल से मालिश नहीं करनी चाहिए? जानें क्या कहते हैं सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2019 7:35 AM

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…

सवाल- कष्टों से मुक्ति और जीवन में उन्नति के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर किस मंत्र का जाप लाभ प्रदान करेगा.
-रमेश शरण

जवाब-सदगुरुश्री कहते हैं कि जीवन में संकट से मुक्ति के लिए सकारात्मक चिन्तन, मीठी वाणी और साहस से बड़ा कोई उपाय नहीं है. और प्रगति हेतु सही दिशा में लगातार सटीक कर्म ही सबसे बड़ा सूत्र है. रही बात मंत्रों की तो मंत्र एक प्रकार के वॉयस कमांड हैं. जिनसे हमारे प्राचीन ग्रंथ समृद्ध हैं. पर इस प्राचीन विधा के कई शोधकार्य वक़्त के थपेड़ों में खो गये. मंत्रों को किसी योग्य व्यक्ति या गुरु से व्यक्तिगत रूप से ही प्राप्त करना चाहिए, ऐसा परम्परायें कहती हैं, क्योंकि कहते हैं कि मंत्र देते समय गुरु का आभामंडल मंत्रों को सक्रीय कर देता है. बिना सक्रीय किए मंत्र अपेक्षित परिणाम प्रदान करने में असमर्थ हैं. सिर्फ़ संदर्भ के लिए जन्माष्टमी पर आप पूर्वाभिमुख होकर निम्न मंत्र का जाप कर सकते हैं.

क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि: परमात्मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:

और क्लीं श्रीं हीं श्रीं क्लीं नमः

जाप के समय पूर्ण एकाग्रता, श्रद्धा व विश्वास मुख्य शर्त है.

सवाल- मैं अपनी ऑफ़िस की सहयोगी से शादी करना चाहता हूं, पर अपनी पत्नी को भी बहुत प्यार करता हूं. जीवन उलझ गया है. उलझन से बाहर निकलने का मार्ग बताइए.
जन्मतिथि- 26.11.1987, जन्म समय- 18.05, जन्म स्थान- जालंधर.
– पुनीत जुनेजा

जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि आपकी राशि मकर और लग्न वृष है. आपका लग्नेश व षष्ठेश शुक्र अष्टम भाव में विराज कर जहां एक से अधिक संबंधों की चुग़ली कर रहा है वहीं आपके सप्तम भाव में सूर्य और शनि की उपस्थिति दाम्पत्य जीवन में बेवक़ूफ़ियों व अनावश्यक झमेलों का संकेत दे रही है. रिश्ते सामाजिक जीवन के रीढ़ की हड्डी होते हैं. मैं आपको संबंधों के गणित में पारदर्शी रहने और इसे न उलझाने की सलाह देता हूं. आप यदि दूसरा विवाह करना ही चाहते हैं, तो यह आपका चुनाव है. पर ध्यान रखें, कि आपको इसके लिये ज्योतिषिय नहीं, क़ानूनी सलाह की दरकार है.

सवाल- बच्चों के ढेर सारे खिलौने जमा हो गये हैं. इन्हें रखने की सही दिशा क्या है?
– रीमा भाटिया

जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि बच्चन के खिलौने पश्चिम के कक्ष या कमरे की पश्चिमी दीवार पर बनी आलमारी में रखने चाहिए. इसके अलावा उन्हें दक्षिण-पश्चिम में भी रखा जा सकता है. ऐसा वास्तु के सिद्धांत कहते हैं। पर यदि बच्चे बड़े हो चुके हैं, या नए खिलौने आने के बाद पुराने अनुपयोगी हो चुके हैं, तो कृपया उन्हें घर में न रखकर असमर्थ बच्चों में वितरित कर देना श्रेयस्कर होगा.

सवाल- कुंडली में चंद्रमा षष्ठ या किसे अच्छे घर में न हो तो क्या फल देता है?
-संजय चौधरी

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि अगर कुंडली में चंद्रमा छठे, आठवें या बाहरवें भाव में हो तो ऐसे लोग अपार धन पाकर भी धन के प्रति अक्सर चिंताजनक स्थिति में पहुंच जाते हैं. इनके धन फ़ंसने या डूबने की संभावना अधिक होती है. इनका स्वभाव भावुक व नाटकीय होता है. इनका मन बार बार दुखी होता है। ये ज़रा सी बात से आपे से बाहर हो जाते हैं. इनके घर में जल का अपव्यय होता है, जिससे धन की कमी हो जाती है। इनका बाथरूम सदैव गीला गीला व बेहद सफ़ाई के बाद भी गंदा रहता है.

सवाल-क्या अमावस्या को तेल से मालिश नहीं करनी चाहिए?
-रूद्र कुमार यादव

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि वक़्त, काल और परिवेश के साथ मान्यताएं परिवर्तित होती रहती हैं. जैसे पुराने समय में जब संसाधन नहीं थे विदेश यात्रा को एक बुरा योग माना जाता था. कारण शायद कठिन मार्ग, वाहन का अभाव, भाषाओं का ज्ञान न होने के साथ राजनैतिक परिस्थितियों के कारण वापस आने की गारंटी न होना था। पर आज स्थिति उसके उलट है. इसी प्रकार प्राचीन मान्यताओं के अनुसार किसी भी माह की अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि को तेल मालिश वर्जित मानी गयी थी. सिर्फ़ मालिश ही नहीं, इन दिनों में तो यौन संबंध भी निषेध किया गया था. अपितु इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे saddgurushri@gmail.com पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें.)

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