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मोक्षधाम: कभी फल्गु नदी में राम ने लगायी थी डुबकी, आज है सूखी, माता सीता ने दिया था ये शाप

प्रसनजीतअब केवल दिख रहा रेत व पत्थर, फल्गु में कैसे करें पितरों का तर्पणगया: देवघाट से नीचे उतर कर सीता कुंड की ओर फल्गु नदी में बह रहे थोड़े से पानी में पिंड तर्पण करने जा रहे भोपाल से आये रामवृक्ष शर्मा अपने पुत्र को बताते हुए चल रहे थे कि एक वक्त था जब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2019 10:09 AM

प्रसनजीत
अब केवल दिख रहा रेत व पत्थर, फल्गु में कैसे करें पितरों का तर्पण
गया:
देवघाट से नीचे उतर कर सीता कुंड की ओर फल्गु नदी में बह रहे थोड़े से पानी में पिंड तर्पण करने जा रहे भोपाल से आये रामवृक्ष शर्मा अपने पुत्र को बताते हुए चल रहे थे कि एक वक्त था जब गया आये थे, तब इस नदी की रेत गीली हुआ करती थी और एक हाथ अंदर डालने से ही पानी निकल आता था. अब देखो, लग रहा है कि रेगिस्तान है. सिर्फ रेत और कंकड़ दिख रहा है. घाट पर कर्मकांड करा रहे पुरोहित उमेश मिश्रा ने कहा कि सीता माता ने सूखने का श्राप इस नदी को दिया था, लेकिन फिर भी इसमें पानी रहता करता था. लेकिन, अब लगता है कि माता सीता का वह श्राप पूरी असर कर गया है. ऐसी मान्यता है कि इसी फल्गु में द्वापर युग में भगवान राम ने स्नान किया था. माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ को जल तर्पण किया था. वह नदी आज खुद पानी के लिए तरस रही है.

सात इंच से 25 फुट नीचे चला गया पानी : बुडको के कंसल्टेंट अशोक कुमार सिंह ने बताया कि 1976 में जब उन्होंने वाटर बोर्ड में काम शुरू किया था, तो उस वक्त फल्गु में सर्दियों के मौसम में छह-सात इंच पर पानी मिल जाता था. गर्मी में डेढ़ से दो फुट पर पानी उपलब्ध होता था. यह स्थिति 1986 तक बनी रही. वह कहते हैं कि 2003 के बाद स्थितियां बदलने लगीं. बारिश का कम होना और सूर्य की तपिश ने पानी के लेयर को नीचे धकेलना शुरू कर दिया. इस दौरान बालू का खनन भी अवैज्ञानिक तौर पर जोर पर रहा. झारखंड के हजारीबाग व चतरा में बन रहे सड़कों पर दूसरे विकास के कार्यों ने उधर के पानी को फल्गु में आने से रोक दिया. नदी का पानी आज 25 फुट नीचे चला गया है. श्री सिंह कहते हैं कि मौसम की मार ऐसी ही रही और कोई विकल्प नहीं तलाशा गया तो पांच सालों में पानी 40 फुट नीचे चला जायेगा.

माता सीता ने दिया था नदी को शाप

श्राद्धकर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने के लिए राम व लक्ष्मण नगर की ओर चले गये. उधर दोपहर हो गयी थी. पिंडदान का समय निकलता जा रहा था और सीता जी की व्यग्रता बढ़ती जा रही थी. तभी राजा दशरथ की आत्मा ने पिंडदान की मांग कर दी. सीता फल्गु नदी के साथ वटवृक्ष केतकी के फूल व गाय व गया तीर्थ के पंडाजी को साक्षी मान कर बालू का पिंड बनाकर राजा दशरथ के निमित्त पिंडदान दे दिया. श्रीराम लौटे और पिंडदान की बात सुनी तो उन्होंने प्रमाण की मांग की दी. सीता ने फल्गु नदी, गाय, पंडाजी और केतकी के फूल से प्रमाण देने को कहा. लेकिन वह मुकर गये. सिर्फ वटवृक्ष ने सही बात कही. तब सीता जी ने श्राप दिया कि फल्गु नदी केवल नाम की नदी रहेगी. उसमें पानी नहीं रहेगा.

नदी के सूखने के प्रमुख कारण

बारिश का कम होना

झारखंड से आने वाले पानी के बहाव पर रोक

नदी से लगातार बालू के उठाव ने पानी सोखने की क्षमता कम कर दी

ग्राउंड वाटर रिचार्ज के तौर पर कोई विकल्प तैयार नहीं

नदी को पानी देने वाले आहर, पोखर, पइन, तालाबों का अस्तित्व समाप्त होना

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