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अपनी राशि अनुसार करें मां की उपासना
डॉ एनके बेरा, ज्योतिषाचार्य अ शारदीय दुर्गा पूजा पर महाष्टमी तथा महानवमी का विशेष महत्व है. महाष्टमी के दिन देवी शक्ति धारण करती हैं. नवमी को नवरात्र पूजा-उपासना समाप्त होती है. इसलिए महाशक्ति स्वरूपिणी ‘दुर्गा दुर्गति नाशिनी’ हैं. मां भगवती के नौ देवी स्वरूप नौ ग्रहों की नियंत्रिका भी हैं. यदि कोई जातक किसी ग्रह […]
डॉ एनके बेरा, ज्योतिषाचार्य
अ शारदीय दुर्गा पूजा पर महाष्टमी तथा महानवमी का विशेष महत्व है. महाष्टमी के दिन देवी शक्ति धारण करती हैं. नवमी को नवरात्र पूजा-उपासना समाप्त होती है. इसलिए महाशक्ति स्वरूपिणी ‘दुर्गा दुर्गति नाशिनी’ हैं.
मां भगवती के नौ देवी स्वरूप नौ ग्रहों की नियंत्रिका भी हैं. यदि कोई जातक किसी ग्रह के अशुभ प्रभाव से ग्रस्त है, उसके कार्य में बाधाएं आ रही हैं, तो ग्रह से संबंधित उसकी उक्त नियंत्रिका देवी की साधना-पूजा कर उस ग्रह-बाधा से छुटकारा पा सकते हैं.
साधक यदि अपनी राशि अनुसार मां दुर्गा की आराधना एवं सम्बद्ध मंत्र का जप करे, तो उसका प्रभाव द्विगुणित हो जाता है. इससे देवी शीघ्र मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
मेष : ‘ह्लीं दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र की 11 माला एवं ‘ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः’ का एक माला जप करें.
वृष : मां काली की उपासना करें. प्रतिदिन ‘क्रीं ह्लीं क्लीं अथवा ‘ऊँ क्रीं काल्यै नमः’ अथवा ‘क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नमः’ मंत्र का जप करें. साथ ही यदि कालिका सहस्रनाम का पाठ करें, तो अत्यंत शुभ फलदायी है.
मिथुन : देवी तारा की उपासना करें. स्फटिक माला से ‘ओम् ह्लीं त्रीं हुं फट्’ मंत्र की 11 माला जप व तारा कवच पाठ करें.
कर्क : मां कमला की उपासना करें. रोज ‘नमः कमल वासिन्यै स्वाहा’ मंत्र का 11 माला जप तथा श्रीसूक्त का पाठ करें.
सिंह : मां बाला त्रिपुरा की उपासना करें तथा ‘ऐं क्लीं सौं’ मंत्र का 11 माला जप करें. नियमित भैरवी त्रैलोक्य विजय कवच पाठ करें.
कन्या : मां मांतगी की उपासना तथा ‘ओम् ह्लीं क्लीं हूँ मातंग्यै फट् स्वाहा’ मंत्र की 11 माला जप करें. साथ ही मांतगी सहस्रनाम का जप करें.
तुला : माता महाकाली की आराधना करने के साथ ‘क्रीं हूं ह्लीं’ मंत्र का रोज 21 माला जप करें. काली कवच का पाठ भी करना चाहिए.
वृश्चिक : मां दुर्गा की उपासना के साथ रोज ‘ओम् ह्लीं दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का 11 माला जप करें. दुर्गा सहस्रनामावली का नियमित पाठ करें.
धनु : मां बगलामुखी की उपासना. प्रतिदिन ‘श्रीं ह्लीं ऐं भगवती बगले श्रियं देहि देहि स्वाहा’ मंत्र का 5 माला और ‘ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का एक माला जप करना चाहिए.
मकर : मां षोड़शी की आराधना. श्री मंत्र का 51 माला तथा ‘ओम् पां पार्वती देव्यै नमः’ मंत्र का यथा शक्ति जप. साथ ही ललिता सहस्रनाम या दुर्गा सहस्रनाम का नियमित पाठ करें.
कुंभ : मां भुवनेश्वरी की उपासना तथा ‘ऐं ह्लीं श्रीं’ मंत्र का 21 माला जप. श्री दुर्गा सप्तशती से कवच, अर्गला, कीलक तथा श्रीदेव्यथर्वशीरष एवं सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ करना चाहिए.
मीन : मां बगलामुखी की उपासना उत्तम. ‘श्रीं ह्लीं ऐं भगवती बगले श्रियं देहि देहि स्वाहा’ मंत्र की 11 माला एवं मोती की माला से ‘ओम् ह्लीं श्रीं दुर्गा देव्यै नमः’ मंत्र का अधिकाधिक जप करें.
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