….जब मोटरसाइकिल पर बैठे एक लड़के ने आवाज दी- अकेले कहां जा रही हो, कहो तो हम छोड़ दें, फिर दिखा मनु का दुर्गा रूप

आनंद माधव चलते चलते मनु काफ़ी दूर निकल आयी थी, पीछे मुड़ कर देखा तो सुनसान बियावान सड़क के सिवा कुछ न दिख रहा था. शाम का सूरज अब अंधेरे के आग़ोश में समाने जा रहा था. वह शायद कैैंप का रास्ता भूल चुकी थी. हिम्मत कर उसने अपने कदम तेज कर दिये. आंखें खोज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 8, 2019 5:40 AM

आनंद माधव

चलते चलते मनु काफ़ी दूर निकल आयी थी, पीछे मुड़ कर देखा तो सुनसान बियावान सड़क के सिवा कुछ न दिख रहा था. शाम का सूरज अब अंधेरे के आग़ोश में समाने जा रहा था. वह शायद कैैंप का रास्ता भूल चुकी थी.

हिम्मत कर उसने अपने कदम तेज कर दिये. आंखें खोज रही थी कि कहीं कोई परिचित या भला आदमी दिखे और वह कैंप का पता पूछे. तभी मनु के बगल से एक मोटरसाइकिल तेजी से गुजरा और कुछ दूर आगे जा रूक गया. मोटरसाइकिल पर तीन लड़के बैठे थे. मनु डर गयी, लेकिन अपने डर से लड़ने के साथ ही उसने अपने कदम और तेज कर दिये. उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था. मोटरसाइकिल पर बैठे एक लड़के ने आवाज दी- ‘जानेमन अकेले-अकेले कहां जा रही हो, कहो तो हम छोड़ दें?’

उसने कुछ भी जवाब नहीं दिया. बस अपनी चाल और तेज कर दी. मन-ही-मन वह भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि कैसे भी करके ये बला टले.

सधे कदमों से वह आगे बढ़ते हुये मोटरसाइकिल से आगे निकल गयी. मोटरसाइकिल बार-बार उसके बगल से जाती और आगे रूक जाती. एक लड़के ने उसके दुपट्टे को खींचते हुये कहा- ‘हाय क्या माल है!’ मनु अपना दुपट्टा खींचते हुए थोड़ी और सिमट गयी और लगभग भागती-सी चलने लगी. यह देख कर उन लड़कों की हिम्मत और बढ गयी. वे मोटरसाइकिल ले मनु के साथ-साथ चलने लगे.

लड़की जितना किनारे होती, वे उतने ही उसके करीब आ जाते. मनु अब सड़क के नीचे थी, लेकिन लड़के पीछा छोडने का नाम ही न ले रहे थे. भद्दी-भद्दी फब्तियां कसे जा रहे थे. लड़कों ने कहा- ‘अब रहा नहीं जा रहा. इसे खेत में ले चलो.’

मनु को ये तीनों लड़के महिषासुर राक्षस नजर आ रहे थे, जो शीघ्र ही उसे लीलने का मन बना रहे थे. उसे लगा कल तक जो कुुछ भी वह अखबारों में पढ़ती थी, आज खुद उसका शिकार होने जा रही थी! वह बेहद रुआंसी हो गयी.

हिम्मत जवाब देनेे लगी थी. अचानक उसकी नजर सड़क किनारे पड़े एक बांस के एक डंडे पर पड़ी और न जाने कहां से मनु में बिजली की फुर्ती आ गयी. उसने तेजी से झपट्टा मार

कर वह डंडा उठाया और अपनी पूरी ताकत लगा कर मोटरसाइकिल पर बैठे लड़कों पर चला दिया. डंडा सीधे मोटरसाइकिल चालक के सिर पर लगा और वह अपने साथियों के लेकर गिर पड़ा. फिर तो मनु ने आव देखा न ताव, लगातार ताबड़-तोड़ उन लड़कों पर डंडे बरसाने लगी. साथ में गालियां भी दे रही थी-

‘आ साले, खेत में चलेगा… अपनी मां-बहन के साथ भी खेत जाता है क्या? कुत्ते, कमीने…’ उस वक्त जो उसके मुंह में जो आया, वह बोलती जा रही थी और लड़कों पर डंडे बरसाये जा रही थी. लड़के लहूलुहान हो सड़क पर गिरे पड़े थे. चालक का तो माथा फट गया था और एक के कनपट्टी से खून आ रहा था. तीसरा भी दर्द से कराह रहा था. लड़की के इस दुर्गा रूप को उन लड़कों ने देखा तो क्या, शायद कभी इसके बारे में सोचा भी नहीं था.

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