कार्तिक माह कल से, 25 को धनतेरस, 27 को दीपावली, 31 से चार दिवसीय छठ शुरू
राजकुमार-इस माह में प्रात: स्नान और कल्पवास का विशेष महत्व हैरांची : व्रत-त्योहारों का माह कार्तिक रविवार से शुरू हो जायेगा. इस माह में प्रात: स्नान और कल्पवास का विशेष महत्व है. इसलिए कई भक्त गंगा नदी तट के किनारे झोपड़ी बनाकर भगवान का ध्यान करते हैं. इसके लिए रांची से कई भक्त बरौनी के […]
राजकुमार
-इस माह में प्रात: स्नान और कल्पवास का विशेष महत्व है
रांची : व्रत-त्योहारों का माह कार्तिक रविवार से शुरू हो जायेगा. इस माह में प्रात: स्नान और कल्पवास का विशेष महत्व है. इसलिए कई भक्त गंगा नदी तट के किनारे झोपड़ी बनाकर भगवान का ध्यान करते हैं. इसके लिए रांची से कई भक्त बरौनी के समीप स्थित सिमरिया तट और प्रयागराज गये हैं. यहां पूरे माह रहकर भगवान की पूजा अर्चना करेंगे. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक प्रत्येक दिन तुलसी पौधे के नीचे व मंदिरों, नदी तटों में दीपदान का विशेष महत्व है. साथ ही महात्म की कथा सुनने और सात्विक भोजन व धार्मिक कार्य में संलग्नता आदि का विशेष महत्व है.
इस माह के पर्व त्योहार
17 को करवा चौथ
इस माह का प्रमुख त्योहार में एक है करवा चौथ. यह 17 अक्तूबर को मनाया जायेगा. इस दिन पत्नी दिन भर उपवास रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. चंद्र देवता को देखकर अर्घ्य देती हैं.
21 अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी का व्रत 21 अक्तूबर को है. इस दिन माताएं संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं. शाम में तारा नजर आने के बाद पूजा अर्चना की जाती है.
24 को रंभा एकादशी
24 अक्तूबर को रंभा एकादशी है. गुरुवार होने के कारण इसकी महत्ता अौर बढ़ गयी है. इस दिन भगवान के केशव स्वरूप की पूजा की जाती है और तुलसी की आराधना कर उनकी विशेष पूजा की जाती है.
25 को धनतेरस
धनतेरस 25 अक्तूबर को है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा अौर नये सामान आदि खरीदने का विशेष महत्व है. कई लोग इस दिन भगवान लक्ष्मी, गणेश की पूजा-अर्चना भी करते हैं. इसी दिन से तीन दिनों की दीपावली शुरू हो जाती है. अगले दिन छोटी दीपावली अौर तीसरे दिन बड़ी दीपावली मनायी जाती है.
26 को हनुमान जयंती
छोटी दीपावली व हनुमान जयंती 26 को मनायी जायेगी. इस दिन से शहर दीपों से जगमग करने लगते हैं.
27 को दीपावली
दीपों का पर्व दीपावली 27 को मनाया जायेगा. इस दिन देवी लक्ष्मी-गणेश की पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हुए घरों को दीपों से जगमग किया जाता है. इस दिन रात में देवी काली की पूजा अर्चना की जायेगी.
28 को अन्नकूट
इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है. इसके अलावा गोवर्धन पहाड़ और गोवंश की पूजा का विशेष महत्व है. अन्नपूर्णा मंदिर व गोवर्धन पहाड़ के नीचे विशेष पूजा अर्चना की जाती है. कई लोग घरों में भी इस पूजा का आयोजन करते हैं.
29 को भैया दूज
इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना की जायेगी. इसके अलावा बहन अपने भाई की सुख-समृद्धि के लिए कामना करती है.
31 से चार दिवसीय छठ शुरू
31 अक्तूबर से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो जायेगा. पहले दिन नहाय खाय है. इस दिन व्रती विभिन्न नदी, तालाबों, जलाशयों और घरों में स्नान ध्यान कर भगवान सूर्य की आराधना करेंगे. चावल, दाल, लौकी की सब्जी आदि अर्पित करने के बाद स्वयं ग्रहण करेंगे. प्रसाद स्वरूप इसका वितरण किया जायेगा .
एक नवंबर को खरना
एक नवंबर को खरना है. दिनभर उपवास रखने के बाद शाम में भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना कर उन्हें नैवेद्य स्वरूप खीर, रोटी, केला आदि अर्पित किया जाता है. इसी दिन से 36 घंटे का उनका कठोर व्रत शुरू हो जाता है .
दो नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
महापर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. इसके लिए व्रती विभिन्न छठ घाटों पर जायेंगे और भगवान का ध्यान करते हुए अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देंगे.
तीन को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य
तीन नवंबर को उदयाचलगामी भगवान सूर्य देव को विभिन्न छठ घाटों में अर्घ्य दिया जायेगा. इसके बाद हवन आदि कर प्रसाद का वितरण किया जायेगा. इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जायेगा.
ये पर्व भी हैं : इसके अलावा चार नवंबर को गोपाष्टमी, छह को अक्षय नवमी व जगधात्री पूजा, आठ को देवोत्थान एकादशी, नौ को तुलसी विवाह, 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है. इसी दिन गुरुनानक जयंती भी है.