दैवज्ञ पंडित श्रीपति त्रिपाठी
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज का पर्व 29 अक्तूबर को यानी आज मनाया जा रहा है. इस वर्ष सूर्योदय से सूर्यास्त तक बहनों को भाईदूज का टीका करने का अवसर मिलेगा. टीका करने से पूर्व महिलाओं ने समूह में बैठ कर रूई में बेसन लगा कर लंबी मालाएं बनाएंगी.
भाई दूज का शुभ मुहूर्त- टीका-प्रात: 07:50 के बाद
बहनें अपने भाई का करती हैं तिलक
दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि से यमराज और द्वितिया तिथि का सम्बन्ध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं. उसका स्वागत सत्कार करती हैं और उनके लम्बी आयु की कामना करती हैं. माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर पर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. भइया दूज के दिन ही यमराज के सचिव चित्रगुप्त जी की भी पूजा होती है. इस बार भइया दूज का पर्व 29 अक्टूबर को यानी आज मनाया जा रहा है.
कैसे मनाएं भाई दूज का त्योहार?
आज के दिन भाई प्रातःकाल चन्द्रमा का दर्शन करें. इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें या ताजे जल से स्नान करें. अपनी बहन के घर जाएं और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें. बहनें भाई को भोजन कराएँ , उनका तिलक करके आरती करें. भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें.
कैसे बनाएं किस्मत चमकाने वाला तिलक?
-शुद्ध केसर की कम से कम 27 पत्तियां लें और उसमें शुद्ध लाल चंदन और गंगाजल मिलाएं.
-साफ चांदी की कटोरी या पीतल की कटोरी में यह तिलक तैयार करें.
-अपने भाई को तिलक करने से पहले यह कटोरी भगवान विष्णु के श्री चरणों में रखें.
-ॐ नमो नारायणाय मंत्र का 27 बार जाप करें. अब यह तिलक सबसे पहले भगवान गणपति और विष्णु जी को करें.
-उसके बाद यह तिलक अपने भाई को उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तिलक करें