ज्योतिषीय समाधान: क्या मंत्रों से समस्या का समधान हो सकता है ? जानें क्या कहते हैं सद्गुरु स्वामी आनंद जी
सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं […]
सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…
सवाल- कौन से ग्रह फ़िल्म जगत में सफलता प्रदान करते हैं. क्या मेरी कुंडली में ऐसा योग है? मुझे संगीत का बहुत शौक़ है.
जन्म तिथि- 16.09.1990, जन्म समय- 23.33, जन्म स्थान- भागलपुर
– मान्या चंद
जवाब- सही दिशा में अनवरत उचित कर्म जीवन में सफलता सुनिश्चित करते हैं. फ़िल्म, कला और संगीत में कामयाबी के लिए शुक्र और सूर्य मुख्य भूमिका का निर्वहन करते हैं. अगर शुक्र केंद्र में हो, स्वग्रही हो, केन्द्र या त्रिकोण में हो तो ऐसे लोग फ़िल्म, कला, संगीत और साहित्य के फ़लक पर जगमगाते हैं और पूरे विश्व में जाने जाते हैं. यदि सूर्य पराक्रम, षष्ठ, एकादश, त्रिकोण, स्वग्रही या उच्च राशि का हो, तो ऐसे लोग जिस भी क्षेत्र में प्रयास करें, सफल रहते हैं. आपकी राशि सिंह और लग्न मिथुन है. आपका सूर्य अपनी ही राशि में एकादश भाव में विराजमान है. आपका शुक्र तो नहीं कर सूर्य अवश्य प्रबल है. अतः आप पूर्ण लगन में जिस क्षेत्र में आगे बढ़ें, कामयाबी आपका चरण चुंबन करेगी.
सवाल- नये घर में पति को दांपत्य जीवन के दैहिक संबंधों में कमज़ोरी महसूस हो रही हैं. क्या इसका संबंध घर के वास्तु से हो सकता है?
-नियति उपाध्याय गोपालगंज
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि हां! इसके सूत्र आपके घर के वास्तु में ज़रूर घुले-मिले हो सकते हैं. अपने घर के उत्तर-पश्चिम कोने का सूक्ष्म विश्लेषण करें. घर का ये कोना आपके मन की आकांक्षाओं, आरजुओं और उमंगों के लिए जिम्मेदार है. यहां किसी भी प्रकार का दोष आपके काम सुख का का बंटाधार कर सकता है. यहां दीवार या छत पर दर्पण या कांच की मौजूदगी, गंदगी, बहुत तीव्र प्रकाश आपकी यौन आकांक्षाओं के पतन का कारक बन सकता है. इसके अलावा दक्षिण- पूर्व कोण का नीचा या दोषपूर्ण होना अथवा वहां कोई गड्ढा होना भी व्यक्तिगत रिश्तों पर चोट पहुंचाता है. यह स्थिति नपुंसक न होकर भी बेमतलब के तनावों को थोप कर नपुंसकता का आभास कराती है.
सवाल- मेरी हथेली गुलाबी सी रहती है। ज्योतिष शास्त्र में ये शुभ है या अशुभ है?
-आदित्य झा, हाजीपुर
जवाब : सदगुरुश्री कहते हैं कि हथेली और उसकी रेखाओं का अध्ययन ज्योतिष में नहीं, सामुद्रिक शास्त्र में होता है. जिसे बोलचाल में हस्तरेखा विज्ञान भी कहा जाता है. सामुद्रिक शास्त्र में रक्त वर्ण यानी लाल रंग की हथेली को उत्तम और उसके प्रभाव को ऐश्वर्यकारक माना गया है. ऐसे लोग जीवन का पूर्ण सुख भोगते हैं. जिन हाथों में लालिमा अधिक हो, उनकी ज़िन्दगी में संघर्ष कम होता है.
सवाल- सूर्य अगर लग्न में हो तो शुभ होता है या अशुभ?
राजीव रंजन, बोकारो
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि प्रथम भाव यानी लग्न में सूर्य हो तो ऐसे व्यक्ति भावुक होते है। इनके स्वभाव में नाटकीय रूप से उग्रता और मृदुता दोनो दृष्टिगोचर होती है। ऐसे लोग सुनी सुनाई बातों पर सरलतापूर्वक यक़ीन नहीं करते. इनकी देह में अक्सर भारीपन आने लगता है और लचीलापन कम होने लगता है, जिससे इन्हें कभी कभी मांसपेशियों में पीड़ा की शिकायत होती है. यह स्थिति पिता के सुख में कुछ कमी का कारक बनती है। ऐसे लोगों को श्रेय ज़रा देर से मिलता है.
सवाल- क्या मंत्रों से समस्या का समधान हो सकता है.
– अजय जैन,हज़ारीबाग़
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार हर व्यक्ति के आज के सुख, आनंद, विषाद और कष्ट के सूत्र उसके स्वयं के पिछले कर्मों में समाहित हैं. हर कोई अपने द्वारा रचित खाते के अनुसार ही सुख और दुःख भोगता है. जो कर्म कर दिया गया, उसे तो भोगना ही होगा। किसी भी विद्या द्वारा उसे निरस्त या ख़ारिज करने का कोई उपाय नहीं है, पर हां, मंत्रो का सीधा असर हमारे मन पर पड़ता है। मंत्रों के नवीन कर्म से आप आत्मविश्वास में वृद्धि कर, अपनी आंतरिक ऊर्जा को बल प्रदान कर सकते है. जिससे पूर्व के नकारात्मक कर्मों का भोग सहज और सुगम हो सकता है. सनद रहे कि स्वयं पर यक़ीन और सही दिशा में सतत सटीक कर्म का कोई विकल्प नहीं है.
सवाल- किस दिशा बड़े पेड़ लगाने चाहिए, किस दिशा में छोटे.
– राजेश सहाय, चाईबासा
जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि बृहद स्वरूप धारण करने वाले वृक्षों का उचित स्थान सिर्फ़ दक्षिण- पश्चिम कोण है. वास्तु के सिद्धांत कहते हैं कि सुख, शांति और सुरक्षा के लिए यूं तो 180 अंश से 270 अंश तक का स्थान मुख्य रूप से बड़े और बृहद वृक्षों का है, पर बड़े पेड़ों की सबसे सटीक जगह 210 से 240 डिग्री है. विशेष परिस्थितियों में 150 से 180 और 280 से 300 डिग्री पर मध्यम बड़े वृक्षों को स्थान दिया जा सकता है, पर शून्य से 90 अंश तक के स्थान पर बड़े वृक्ष सुख, चैन, आराम और समृद्धि सबका बेड़ा ग़र्क करने की क्षमता रखते हैं. 180 से 270 डिग्री के मध्य छोटे पौधे शुभ फल नहीं देते. ये परस्पर सहयोग की कमी कर, असुरक्षित बनाते हैं और बेचैन करते हैं. शून्य से 90 अंश तक का स्थान बेहद छोटे, हल्के और अधिक जल वाले पौधों का है. ये अंश यानि डिग्री की स्थिति आपको आपके कंपास यानि क़ुतुबनुमा से आसानी से प्राप्त हो जाएगी, जिसे घर या प्लॉट के मध्य रखकर सही दिशा और सटीक अंश का पता लगाया जा सकता है.
सवाल- मैं मारक मंगल योग से ग्रसित हूँ। क्या इससे तलाक़ हो जाता है?
जन्म तिथि- 11.01.1993, समय-20.42, जन्म स्थान-जमशेदपुर
-अनुश्री दास, जमशेदपुर
जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि आपकी राशि और लग्न सिंह है. भूमिपुत्र श्री मंगल देव आपके एकादश भाव में विराजमान हैं. जन्म कुंडली में यदि मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी में भी आसीन हो तो यह स्थिति मंगल दोष कहलाती है. लिहाज़ा क्रूर या सौम्य तो छोड़िए, आप मांगलिक ही नहीं हैं. मुझे आपकी कुंडली में तलाक़ का कोई योग दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है.
सदगुरु ज्ञान-
– यदि कुंडली के प्रथम भाव यानि लग्न में देव गुरु वृहस्पति आसीन हो तो यह व्यक्ति के बुद्धिमान होने का संकेत है. ऐसे लोग धनी, प्रतिष्ठित, समाजसेवी और अपने मूल्यों की रक्षा करने वाले होते हैं. मगर यही वृहस्पति जब द्वितीय भाव अर्थात् धन भाव में असीन हो जाते हैं, तो फ़िज़ूल ख़र्च बना कर बड़े से बड़ा कोष भी खाली कर देते हैं.
-देव गुरु वृहस्पति यदि जन्म कुंडली के सुख भाव यानि चतुर्थ भाव में हों तो अच्छा करियर और उत्तम भविष्य प्रदान करते हैं, पर यदि वो पंचम भाव में बैठ जायें, तो प्रेम सम्बंधों पर कुठाराघात करते हैं. ऐसे लोगों के कई सम्बंध टूट सकता है और दाम्पत्य जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
-यदि कुंडली में मंगल शुभ हो तो भाइयों और मित्रों से सहयोग के साथ जीवन में कभी न कभी सरकारी अनुकंपा प्राप्त होती है और मित्र सदैव आस- पास ढाल की तरह खड़े नज़र आते हैं. इनकी राजनीति में सुप्त रुचि अवश्य होती है. इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है.
– यदि कुंडली में चंद्रमा छठे, आठवें या बाहरवें भाव में हो तो ऐसे लोग अपार धन पाकर भी धन के प्रति अक्सर चिंताजनक स्थिति में पहुंच जाते हैं. इनके धन फ़ंसने या डूबने की संभावना अधिक होती है. इनका मन बार बार दुखी होता है. इनके घर में जल का अपव्यय होता है. इनका बाथरूम सदैव गीला गीला व बेहद सफ़ाई के बाद भी गंदा रहता है.
-सबके बारे में उलटे विचार, सब के अंदर कमीं खोजने की आदत हमें मुश्किलों में डाल देती है. आध्यात्मिक अवधारणा कहती है कि अपने कर्म उलट कर स्वयं पर अवश्य आते हैं.
उपाय जो जीवन बदले-
-मान्यतायें कहती हैं कि यदि प्रातःकाल सूर्योदय के समय सूर्य को ताम्र पात्र से जल अर्पित करने से अपार मान प्रतिष्ठा का योग निर्मित होता है. यदि उसमें एक चुटकी कुमकुम मिला दिया जाये तो किसी अपमान से बाहर निकलने में सहायता मिलती है। यदि उसमें 24 लाल मिर्च के बीज डाल दिये जायें तो रुके धन की वापसी का मार्ग प्रशस्त होता है.
– उपासना के समय वातावरण को सुगंधित रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, ऐसा मैं नहीं प्राचीन ग्रंथ कहते हैं.
-दूसरों की आलोचना अपना मान भंग करके आर्थिक कष्ट को आमंत्रित कर ढेरों संकटों का कारक बनती है. हमारे ज्ञात-अज्ञात कर्म उलट कर हम पर ही आते हैं। ऐसा आध्यात्म का सार कहता है.
-मुख्यद्वार के अंदर और बाहर हल्दी व केसर का स्वस्तिक आंतरिक भय को नष्ट करता है, ऐस परंपराएं मानती हैं.
-शहद का सेवन मंगल दोष निवारण में महती भूमिका निभाता है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं.
-पीपल के पत्ते पर काजल रखकर भूमि प्रवाह करने से शनि जनित कष्ट कम होते हैं ऐसा माना जाता है, पर अपने सकारात्मक कर्मों का कोई विकल्प नहीं है.
-यदि शनि से बहुत कष्ट मिल रहा हो तो शनिवार के दिन किसी धर्म स्थल पर चने का खाद्य पदार्थ अर्पित करना चाहिये, ऐसा परम्परायें कहती हैं.
-प्रातः सर्वप्रथम थोड़ी हंसी और सकारात्मक विचार सम्पूर्ण दिवस आपको प्रफुल्लित रखने में सहायक सिद्ध होते हैं, ऐसा योग और अध्यात्म के सूत्र कहते हैं.
-यदि आर्थिक तनाव हो तो सर्वप्रथम जल की बर्बादी पर रोक लगाना चाहिए.
-इशान्य कोण में वार्डरोब व भारी समान की उपस्थिति बड़े तनाव का कारक बन सकती है, ऐसा वास्तु के नियम कहते हैं.
-घर में नित्य अखण्ड दीपक संतान के विकास मार्ग अवरुद्ध करते हैं.
(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे saddgurushri@gmail.com पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें.)