किन कारणों से संतान सुख में आती हैं बाधाएं

पीएन चौबे, ज्योतिषाचार्य कुं डली के बारह भाव में लग्न एवं चंद्रमा से पंचम भाव एवं इसके कारक ग्रह गुरु से देखा जाता है. यह भाव पिछले जन्म में किये गये कर्मों का भी है. संतान इन्हीं शुभ कर्मों का प्रतिफल है. लेकिन पूर्व जन्म में किये अपराध संतान सुख में बाधा उत्पन्न करते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2020 1:32 AM

पीएन चौबे, ज्योतिषाचार्य

कुं डली के बारह भाव में लग्न एवं चंद्रमा से पंचम भाव एवं इसके कारक ग्रह गुरु से देखा जाता है. यह भाव पिछले जन्म में किये गये कर्मों का भी है. संतान इन्हीं शुभ कर्मों का प्रतिफल है. लेकिन पूर्व जन्म में किये अपराध संतान सुख में बाधा उत्पन्न करते हैं. जैसा कि मानस में वर्णन है, राजा दशरथ संतान के लिए व्याकुल हो जाते हैं, वहां गुरु वशिष्ठ उन्हें धैर्य देते हैं-
धरहु धीर होइंहे सूत चारि।
जाहिर है बिना गुरु कृपा के संतान सुख नहीं मिलता. ज्योतिष में स्पष्ट संकेत मिलता है कि संतान योग कब तक है या है भी कि नहीं.
विलंब से संतान योग : सशुभा अंकाकन सुते शास्त्रिकस्था विलाम्ब्त: प्रजा: .
अर्थात् यदि लग्न नवम एवं पंचम भाव के स्वामी शुभ ग्रह से युक्त हों, 6, 8 या 12वें भाव में चले गये, तो ऐसा योग बंटा है. यदि शनि लग्न में हो, गुरु आठवें एवं मंगल बारहवें हों, तो भी यह योग बंटा है. यदि पंचम भाव में पाप ग्रह हो, विशेषकर शनि, तो भी संतान विलंब से होती है. जैसा कि जातक तत्व में वर्णन है- खभे सौम्या: सुते पापा: सुतसुख विलम्बात. उसी प्रकार राहु, सूर्य या मंगल पंचम में हो, तो शल्य क्रिया से संतान की प्राप्ति होती है.
मुख्य कारण : पूर्व जन्म में हुए सर्पशाप, पितृश्राप, माताश्राप, भ्राताश्राप, प्रेतश्राप या कुलदेवता श्राप आदि के चलते संतान विलंब से होती है या नहीं भी होती है. पिछले जन्म में अगर आपने पेड़-पौधे भी कटवाये हैं, तो यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए कुंडली की विधिवत विवेचना कर इसका उपाय अपेक्षित है.
विभिन्न श्राप दोषों से मुक्ति के लिए : अथर्ववेद में वर्णित संतान प्रकरण को पढ़ें, दुर्गासप्तशती के संतान मंत्रों के सम्पुट से सतचंडी अनुष्ठान कराएं. नागपाश यंत्र एवं मंगलयंत्र पूजा कक्ष में रखें. यदि कुंडली में कालसर्प दोष हो, तो इसकी शांति कराएं. यदि पितृदोष हो, तो इसकी भी शांति कराएं.
घर के वृद्ध पुरुषों की सेवा करें. विशेष कर वृद्ध स्त्रियों का आशिर्वाद लें. प्रेतश्राप के लिए मुक्ति का उपाय करें. विशेष कर चंडी पाठ के साथ ग्रह शांति के निमित यज्ञ करें. शाकाहार रह घर में अखंड दीप जलाएं. कुलदेवता का विधि-विधान से पूजन करें एवं उन पर नारियल, पीले फूल के साथ कुछ रुपये रख मनौती मानें.
(संपर्क : 9934557894)
संतान प्राप्ति के उपाय
ग्रहों के कारण संतान सुख में बाधा आ रही हो, तो :
सूर्य के लिए हरिवंश पुराण का पाठ करें.
चंद्रमा के लिए सोमवार का व्रत रख कर शिव की उपासना करनी चाहिए.
मंगल के लिए महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ कराएं.
बुध के लिए महाविष्णु की उपासना करें.
गुरु के लिए पितरों का श्राद्ध करें.
शुक्र के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें.
शनि के लिए महामृत्युंजय का जप एवं हवन करें.
राहु के लिए नागपाश यंत्र की पूजा व बुधवार को व्रत रख करना चाहिए. ऐसे लोगों के लिए कन्यादान करना भी श्रेष्ठ माना गया है.
केतु के लिए ब्राह्मण भोजन करा कर उन्हें वस्त्र भेंट करें.

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