बुजुर्ग भिक्षु की उम्र सुन कर हैरान हुए बुद्ध
बुद्ध के पास एक बूढ़ा भिक्षु आया. बुद्ध ने उस भिक्षु से पूछा कि तेरी उम्र क्या है? उस भिक्षु ने कहा, चार वर्ष. वह बूढ़ा था, बुद्ध और उनके आसपास के भिक्षु हैरान हुए. सोचा बुद्ध ने शायद मेरे समझने में हो गयी है भूल. फिर पूछा- मेरे मित्र तेरी उम्र क्या है? उस […]
बुद्ध के पास एक बूढ़ा भिक्षु आया. बुद्ध ने उस भिक्षु से पूछा कि तेरी उम्र क्या है? उस भिक्षु ने कहा, चार वर्ष. वह बूढ़ा था, बुद्ध और उनके आसपास के भिक्षु हैरान हुए. सोचा बुद्ध ने शायद मेरे समझने में हो गयी है भूल.
फिर पूछा- मेरे मित्र तेरी उम्र क्या है? उस बूढ़े ने कहा, मैंने निवेदन किया चार वर्ष. बुद्ध ने कहा- बड़ी हैरानी में डाल दिया तुमने. कोई सत्तर वर्ष तुम्हारी उम्र होगी. कहते हो चार वर्ष. किस हिसाब से गणना करते हो? उस बूढ़े ने कहा, चार वर्ष के पहले जो था, वह जीवन नहीं था. उसकी मैं गिनती नहीं करता. इधर चार वर्षों से जीवन की सुगंध मिलनी शुरू हुई. चित्त शांत हुआ है. इधर चार वर्षों से निर्विचार हुआ. इधर चार वर्षों से भीतर झांका, तो उसकी प्रतीति हुई जो जीवन है. बाहर तो मृत्यु थी, जीवन था भीतर. और मैं बाहर ही देखता रहा. इसके पहले मैं जीवन नहीं, मृत्यु को जी रहा था, फिर उसकी गिनती कैसे करूं?
– ओशो