सात्विक बनने का प्रयास

जो पाप का जीवन जीते हैं, हिंसा, झूठ, चोरी, व्यभिचार आदि में अनुरक्त रहते हैं. वे व्यक्ति अथवा तमोगुण वाले व्यक्ति मर कर अधोगति में जाते हैं. जो मनुष्य बन कर न तो पतन की ओर जाता है और न विकास की ओर जाता है, न कमाई करता है और न मूल पूंजी को गंवाता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2014 3:24 PM

जो पाप का जीवन जीते हैं, हिंसा, झूठ, चोरी, व्यभिचार आदि में अनुरक्त रहते हैं. वे व्यक्ति अथवा तमोगुण वाले व्यक्ति मर कर अधोगति में जाते हैं. जो मनुष्य बन कर न तो पतन की ओर जाता है और न विकास की ओर जाता है, न कमाई करता है और न मूल पूंजी को गंवाता है. यानी जो मूल पूंजी को सुरक्षित रख लेता है, वह पुन: मनुष्यगति को प्राप्त करता है.

जो मनुष्य बन कर न ज्यादा लोभ करता है, न माया-छलना करता है, जो सरल होता है, भद्र होता है, ज्ञानार्जन करने में अपने पुरुषार्थ का नियोजन करता है, वह ऊध्र्वगति को प्राप्त करता है. सत्वगुण वाले सात्विक लोग, रजोगुण वाले राजस लोग और तमोगुण वाले तामस लोग होते हैं. सात्विक लोग ऊध्र्वगति में, राजस लोग मध्यमगति में और तामस लोग अधोगति में उत्पन्न होनेवाले होते हैं. आदमी को यह विचार करना चाहिए कि मेरा व्यवहार, आचार, भाव किस प्रकार का है? मैं कहीं तमोगुण वाला न बन जाऊं.

मैं रजोगुण के भावों में न रहूं. मैं सत्वगुण प्रधान बना रहूं. वर्तमान में और मृत्यु के समय अगर सत्वगुण की प्रधानता है, तो विश्वास किया जा सकता है कि मरने के बाद दुर्गति नहीं मिलेगी, ऊध्र्वगति में पैदा होने का मौका मिलेगा. इस संसार में अनेक प्रकार के व्यक्ति रहते हैं. कुछ व्यक्ति महान होते हैं, कुछ मध्यम होते हैं और कुछ अधम होते हैं. वे व्यक्ति महान होते हैं, जिनमें कुछ विरल विशेषताएं होती हैं. इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वह सात्विक बनने का प्रयास करता रहे.
आचार्य महाश्रमण

Next Article

Exit mobile version