शुभाकांक्षा का महत्व

एक बार चीन के बादशाह का सचिव भारत आया. उसने देखा और अनुभव किया कि भारत का बादशाह दीर्घजीवी होता है, जबकि चीन का बादशाह बहुत कम उम्र पाता है. दीर्घजीविता का रहस्य खोजने के लिए वह भारत के बादशाह के सचिव यानी वजीर से मिल कर इसके बारे में पूछा. वजीर बोला, आपको कुछ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2014 1:18 PM

एक बार चीन के बादशाह का सचिव भारत आया. उसने देखा और अनुभव किया कि भारत का बादशाह दीर्घजीवी होता है, जबकि चीन का बादशाह बहुत कम उम्र पाता है. दीर्घजीविता का रहस्य खोजने के लिए वह भारत के बादशाह के सचिव यानी वजीर से मिल कर इसके बारे में पूछा. वजीर बोला, आपको कुछ दिन प्रतीक्षा करनी होगी. यह सामने जो हरा-भरा वृक्ष नजर आ रहा है, जिस दिन यह सूख जाये, आपको उत्तर मिल जायेगा.

चीन के सचिव को स्वदेश लौटने की जल्दी थी, लेकिन वह रहस्य की खोज किये बिना लौटना भी नहीं चाहता था. वह सोचने लगा कि यह वृक्ष जल्दी ही सूख जाये तो अच्छा रहे. उसका सोचना फलीभूत हुआ. समय से पहले ही वृक्ष सूख गया. सचिव वजीर से मिला. वजीर ने पूछा, प्रश्न का उत्तर मिला या नहीं? सचिव ने कहा, नहीं. वजीर बोला, वृक्ष सूख गया, यही आपके प्रश्न का उत्तर है.ह्ण सचिव इस उत्तर में उलझ गया.

वजीर ने कहा, यह हरा-भरा वृक्ष समय से पहले ही सूख गया, क्योंकि आपकी दृष्टि इसके सूखने पर लगी हुई थी. हमारे बादशाह के प्रति राष्ट्र की जनता में प्रेम है. वह सदा मंगल भावों से भरी रहती है. बादशाह के चिरंजीवी होने की कामना करती है. संभव है, चीनी बादशाह को अपनी जनता की इतनी शुभकामना नहीं मिलती हों. भविष्य को शुभ बनाने के लिए शुभाकांक्षा का अपना महत्व है. व्यक्ति और कुछ करे या नहीं, अपने प्रति शुभ भावनाओं से भरा रहे, उत्कर्ष के भावों से भरा रहे, तो उसका भविष्य सहज ही शुभ या कल्याणमय हो सकता है.
।। आचार्य तुलसी ।।

Next Article

Exit mobile version