12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वर्तमान की बलि मत दो

बिना किसी कामना के यदि हम कल्पना के साथ खेलते हैं- न कहीं पहुंचने के लिए, न कुछ पाने के लिए, बस एक खेल की तरह उसे लेते हैं- तो हमारी कल्पना न कामना होती है, न ही बंधन. लेकिन हम इतने परिणाम-उन्मुख हैं कि हर चीज को साधन बना लेते हैं. ध्यान परम लीला […]

बिना किसी कामना के यदि हम कल्पना के साथ खेलते हैं- न कहीं पहुंचने के लिए, न कुछ पाने के लिए, बस एक खेल की तरह उसे लेते हैं- तो हमारी कल्पना न कामना होती है, न ही बंधन. लेकिन हम इतने परिणाम-उन्मुख हैं कि हर चीज को साधन बना लेते हैं.
ध्यान परम लीला है, कुछ पाने का साधन नहीं है. तुम ध्यान का किसी फल की प्राप्ति के लिए उपयोग नहीं कर सकते. हैरानी की बात है कि जिन्होंने भी जाना है, वे सदियों से ध्यान के लिए ही ध्यान करने पर जोर देते रहे हैं. इसलिए ध्यान से कुछ पाने की कामना मत करो, उसका आनंद लो, उससे बाहर कोई लक्ष्य मत बनाओ- बुद्धत्व उसका परिणाम होगा. इस खेल में गहरे डूब जाना ही बुद्धत्व है. लेकिन मन हर चीज को कार्य बना लेता है.
मन कहता है- कुछ करो, क्योंकि उससे यह लाभ होगा. मन भविष्य के लिए वर्तमान में काम करता है. भविष्य के लिए वर्तमान में काम करने को ही कामना कहते हैं. खेलते हुए बच्चों को देखो. इस समय वे शात में हैं. वे सुखी हैं, क्योंकि खेल रहे हैं. सुख बाद में नहीं आयेगा, सुख अभी और यहीं है. उनके मन अभी विकसित नहीं हैं. हम उन्हें विकसित होने को बाध्य करेंगे.
उन्हें कुछ कार्य सीखना पड़ेगा. उन्हें साधन और साध्य को विभाजित करना पड़ेगा. उन्हें इस क्षण और भविष्य के बीच भेद खड़ा करना पड़ेगा. और हम उन्हें भविष्य के लिए वर्तमान की बलि देना सिखा देंगे, यह मार्ग है संसार का, बाजार का, कामना का. कामना सब कुछ को उपयोगिता में बदल देती है.
आचार्य रजनीश ‘ओशो’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें