देवगुरु बृहस्पति अपनी नीच राशि की अवस्था समाप्त करके वक्री अवस्था में ही वापस अपनी राशि धनु में 30 जून की सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर प्रवेश करेंगे. इसी के साथ शनि और गुरु की युति भी समाप्त हो जाएगी. लेकिन केतु और गुरु की युति पुनः प्रारंभ हो जाएगी. यह इस राशि में 20 नवंबर 2020 तक रहेंगे, इसके बाद यह मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसके चलते जीव सुखी होंगे. कोरोना जैसी महामारी में कमी आना शुरू हो जाएगी. गुरु के गोचर का असर सभी राशियों पर शुभ-अशुभ रूप से पड़ेगा. लेकिन पांच राशियों को इस दौरान मिलेजुले परिणाम मिलेंगे.
देवगुरु बृहस्पति 30 अप्रैल सुबह 3: 47 बजे अतिचारी होकर स्व राशि धनु से अपनी नीच राशि मकर में पहुंच गए थे. 14 मई को रात्रि 8:03 बजे देवगुरु मकर राशि सतविशा नक्षत्र में भ्रमण करते हुए वक्री होकर अपनी मूल त्रिकोण राशि धनु की ओर आ रहे हैं. 30 जून को गुरु का धनु राशि में प्रवेश 5:27 बजे हो जाएगा.
13 सितंबर सुबह 6:12 बजे गुरु वक्र गति को छोड़कर मार्गी गति से चलना प्रारंभ कर देंगे. धनु राशि में देव गुरु बृहस्पति का भ्रमण 20 नवंबर दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा. इसके उपरांत देवगुरु अपनी अग्रिम नीच राशि मकर में पुन: पहुंच जाएंगे, जहां वे 5 अप्रैल 2021 तक भ्रमण करेंगे. 30 जून से 20 नवंबर तक धनु राशिस्थ गुरु का प्रत्येक राशि पर प्रभाव पड़ेगा.
मेष- आय के साधनों में बढ़ोतरी होगी, रुका हुआ पैसा वापस मिलेगा.
वृष- धन हानि हो सकती है, व्यर्थ के विवादों का सामना करना पड़ सकता है.
मिथुन- घर में मांगलिक उत्सव से मन प्रसन्न रहेगा. शुभ समाचार मिलेगा.
कर्क- स्वास्थ्य में कमी आएगी, शत्रु से सचेत रहें. कोई भी निर्णय जल्दबाजी में न लें.
सिंह- परिवार में व्यर्थ विवाद ना पैदा होने दें, सुखों में वृद्धि होगी, प्रियजनों का सहयोग प्राप्त होगा.
कन्या- धन हानि एवं गृह क्लेश से मन अशांत होगा. इस दौरान सावधानी बरतनी होगी.
तुला- स्थान परिवर्तन या प्रवास की अधिकता रहेगी. आर्थिक नुकसान हो सकता है.
वृश्चिक- पारिवारिक सहयोग से शिक्षा में सफलता मिलेगी.
धनु- स्वयं के पराक्रम से बिगड़े कार्य पूर्ण होंगे. परिजनों का सहयोग मिलेगा.
मकर – अधिकारियों का सहयोग न मिलने से काम बिगड़ेंगे. आप की चिंता बढ़ेगी.
कुंभ- चहुंमुखी विकास होगा, न्यायिक मामलों में सफलता मिलेगी.
मीन- कार्य क्षेत्र में सफलता मिलेगी, लंबित कार्य भी पूर्ण होंगे.