पटना : शनिवार को पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा. यह दोपहर 3.45 से शुरू होकर शाम 7.15 बजे समाप्त होगा. यह भारत के अलावा नेपाल सहित कई देशों में देखा जायेगा. खास बात है कि यह पूरे भारत में दिखाई देगा. पटना में समय शाम 6.05 बजे है.
पंडित श्री पति त्रिपाठी के अनुसार चार अप्रैल को चंद्र प्रधान हस्त नक्षत्र की युति बन रही है. साथ ही शनि प्रधान होने से हस्त नक्षत्र व कन्या राशि में जन्म लेने वालों के शुभ नहीं होगा. इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक ग्रहण न देखें. साथ ही इस ग्रहण काल के दौरान, जिन जातकों को चंद्रमा से संबंधित परेशानियां या जन्म पत्रिका में ग्रहण दोष हो, तो वे चंद्रमा व राहु के मंत्रों का जप करें. ऐसा करने से ग्रहण योग की प्रतिकूलता से मुक्ति मिलेगी. साथ ही इस दिन उड़द व मूंग दाल, चावल, काला तिल व नीले-काले एवं श्वेत रंगों के वस्त्रों का दान करना शुभ होगा.
क्या है चंद्रग्रहण
चंद्रमा व सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने को चंद्रग्रहण कहते हैं. तब सूर्य व चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार से आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है.
राशि के अनुसार प्रभाव
मेष : सुख-सुविधाओं की प्राप्ति
वृष : चिंता व मानसिक परेशानी
मिथुन : शारीरिक कष्ट व पीड़ा
कर्क : लक्ष्मी का आगमन
सिंह : धन हानि व परेशानी
कन्या : शत्रु उपद्रव
तुला : अत्यधिक व्यय
वृश्चिक : लंबित कार्यो में सफलता
धनु : सुख-सुविधाओं में वृद्धि
मकर : अपमानजनक स्थिति व हानी
कुंभ : शारीरिक पीड़ा
मीन : स्त्री पीड़ा
आज बंद रहेंगे मंदिर
शनिवार को लगनेवाले चंद्रग्रहण की वजह से दोपहर तीन बजे से देश के मंदिर बंद हो जायेंगे. शाम 7.15 बजे ग्रहण खत्म होने पर पूरे मंदिर परिसर की धुलाई की जायेगी. उसके बाद निर्धारित समय पर शाम आठ बजे की आरती होगी. महावीर मंदिर के शोध व प्रकाशन प्रभारी भवनाथ झा ने बताया कि ग्रहण के दौरान देवमूर्ति का दर्शन निषेध है. इस दौरान सिर्फ जप, ध्यान या पाठ-पूजा किया जा सकता है. शास्त्रों के मुताबिक चंद्रग्रहण से आठ घंटे पहले भोजन नहीं करना चाहिए. सूर्यग्रहण के लिए यह समय 12 घंटे पहले हो जाता है. उन्होंने बताया कि ग्रहण खत्म होने पर स्नान के बाद ही कुछ खाया जा सकता है. ग्रहण की अवधि में पका खाना भी नहीं रखना चाहिए. अगर है भी तो उसे फेंक दें. दूध-दही को शुद्ध करने के लिए उसमें कुश के साथ तिल डाल दिया जाता है. भवनाथ झा ने बताया कि महावीर मंदिर रामानंद संप्रदाय के हिसाब से चलता है. इस हिसाब से हनुमान जयंती कार्तिक महीने में चतुर्दशी को मनायी जाती है. यह दीवाली के एक दिन पहले पड़ता है. हमारे यहां चैत्र वाली हनुमान जयंती नहीं मनायी जाती