18.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यूं ही अबूझ मुहूर्त नहीं आखा तीज

वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं. यह स्वयंसिद्ध या अबूझ मुहूर्त है. मान्यता है कि इस दिन किये गये दान, हवन, पूजन या साधना अक्षय (संपूर्ण) होते हैं. अक्षय तृतीया वैशाख में शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते […]

वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं. यह स्वयंसिद्ध या अबूझ मुहूर्त है. मान्यता है कि इस दिन किये गये दान, हवन, पूजन या साधना अक्षय (संपूर्ण) होते हैं.
अक्षय तृतीया वैशाख में शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. अत: इसे अक्षय-तृतीया कहा जाता है. वैशाख के शुक्लपक्ष की तृतीया की अधिष्ठात्री देवी माता गौरी हैं. उनको साक्षी मान कर किया गया धर्म-कर्म व स्नान-दान अक्षय हो जाता है, इसलिए इस तिथि को अक्षय-तृतीया कहा गया है. इस दिन दान व उपवास करने से हजार गुना फल मिलता है.
इस दिन महालक्ष्मी की साधना विशेष लाभकारी व फलदायीसिद्ध होती है. आखा तीज अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है. अक्षय-तृतीया से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है. हालांकि मेष राशि के सूर्य में धार्मिक कार्य आरंभ माने जाते हैं, पर शास्त्रीय मान्यता के अनुसार सूर्य की प्रबलता व शुक्ल पक्ष की उपस्थिति में मांगलिक कार्य करना अतिश्रेष्ठ है. वैसे तो सभी 12 महीनों की शुक्लपक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गयी है.
अक्षय तृतीया का शाब्दिक अर्थ है कि जिस तिथि का कभी क्षय या नाश ना हो, जो अविनाशी हो. अक्षय तृतीया का पर्व ग्रीष्मऋतु में पड़ता है, इसलिए इस पर्व पर ऐसी वस्तुओं का दान करना चाहिए, जो गर्मी में उपयोगी व राहत प्रदानकरने वाली हों. अक्षय तृतीया पर कुंभ का पूजन व दान अक्षय फल देते हैं. धर्मशास्त्र के मतानुसार यदि इस दिन नक्षत्र व योग का शुभ संयोग भी बने, तो इसका महत्व बढ़ जाता है. इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र व सौभाग्य योग के साथ आ रही आखातीज पर दिया गया कुंभदान भाग्योदय कारक होगा.
तंत्र प्रयोगों से बचाव
तंत्र का उपयोग पहले जनकल्याण के लिए किया जाता था, पर समय के साथ इसका उपयोग स्वार्थ सिद्धि के लिए किया जाने लगा है. कुछ लोग निहित स्वार्थ से तंत्र के जरिये लोगों को परेशान करते हैं. यदि आप भी दुश्मनों के तांत्रिक-प्रयोगों से पीड़ित हैं, तो अक्षय-तृतीया को यह साधना आपके लिए उपयोगी रहेगी. सर्वप्रथम मूंगा हनुमान (मूंगे से निर्मित हनुमान प्रतिमा) की स्थापना अपने घर के एकांत-कक्ष में चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर करें. उनका यथाविधि पूजन करें और उन पर सिंदूर चढ़ायें. तदुपरांत इस मंत्र का यथासंभव जप करें —
ऊँ नमो हनुमते रु द्रावताराय,
पर यंत्र-मंत्र-तंत्र-त्रटक-नाशकाय,
सर्व-ज्वरच्छेदकाय, सर्व-व्याधि-निकृंतकाय,
सर्व-भय-प्रशमनाय, सर्वदुष्ट-मुख-स्तंभनाय,
देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-दुष्टग्रह-बंधनाय,
सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रदाय रामदूताय स्वाहा.
अक्षय तृतीया के बाद मूंगा हनुमानजी की प्रतिमा को अपने पूजा स्थान पर स्थापित करें और प्रत्येक दिन उनका धूप-दीप से पूजन करें तथा इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें.
तंत्र के दुष्प्रभाव से व्यापार को बचाना
व्यापार-व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा भी होती है, लेकिन कुछ लोग तंत्र का प्रयोग कर अपने प्रतिस्पर्धी की दुकान या व्यवसाय को बांध देते हैं. इसके कारण चलता हुआ कारोबार या कामधंधा भी ठप हो जाता है. यदि किसी ने आपके व्यापार-व्यवसाय पर भी तंत्र प्रयोग किया हो, तो इस साधना से उस तांत्रिक-प्रयोग को काटा जा सकता है. इस उपाय से व्यापार फिर से उन्नति करने लगेगा. यह उपाय अक्षय-तृतीया को किये जाने से और भी अधिक शुभ फल मिलेगा.
उपाय : एक दिव्य शंख, 11 लक्ष्मीकारक कौड़ियां व सात गोमती-चक्र , 108 काली मिर्च, 108 लौंग व थोड़ी-सी सरसों (करीब 100 ग्राम) को पीस कर रख लें. शाम को लकड़ी के पटरे पर या बेंत की चौकी पर एक काला कपड़ा बिछा कर किसी कटोरी में इस मिश्रण को भर कर स्थापित कर लें. अब सरसों के तेल का दीपक जला कर इस कटोरी को भीतर रख दें.
फिर दक्षिण की तरफ मुख करके बैठें और नीचे लिखे मंत्र की तीन या सात माला जपें.
ऊँ दक्षिण भैरवाय भूत-प्रेत बंध तंत्र बंध निग्रहनी सर्व शत्रु संहारणी सर्व कार्य सिद्धि कुरु -कुरु फट् स्वाहा.
अगले दिन थोड़ा-सा मिश्रण कटोरी में से निकाल कर दुकान के सामने बिखेर दें. इस प्रयोग से आप किसी भी प्रकार के तंत्र-बंधन को काट सकते हैं.
क्या करें : जल से भरे कुंभ को मंदिर में दान करने से ब्रह्मा, विष्णु व महेश की कृपा प्राप्त होती है. वहीं कुंभ का पंचोपचार पूजन व तिल-फल आदि से परिपूर्ण कर वैदिक ब्राह्मण को दान देने से पितरों को अक्षय-तृप्ति होती है. ऐसा करने से पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
बैकुंठ पाने के उपाय
वैशाख प्रभु माधव का माह है. शुक्लपक्ष भगवान विष्णु से संबंध रखता है. रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ है. धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसे उत्तम योग में अक्षय तृतीया पर प्रात:काल शुद्ध होकर चंदन व सुगंधित द्रव्यों से श्रीकृष्ण का पूजन करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.
सर्वविध सुख के लिए
अक्षय तृतीया को की गयी साधना व पूजा का फल कभी निष्फल नहीं नहीं होता. अत: इसे अत्यंत शुभ दिन माना जाता है. अगर आप चाहते हैं कि आपको दुनिया का हर सुख मिले, तो अक्षय तृतीया को यह टोटका करें —
टोटका : अपने सामने सात गोमती चक्र और महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें और सात तेल के दीपक लगायें. ये सब एक ही थाली में रखें और थाली को अपने सामने रखें. फिर शंख माला से इस मंत्र की 51 माला जप करें –
हुं हुं हुं श्रीं श्रीं ब्रं ब्रं फट्
अक्षय तृतीया के दिन ऐसी साधना करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं. लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए अक्षय तृतीया पर किया गया यह उपाय किसी चमत्कार से कम नहीं है. स्फटिक के श्रीयंत्र को पंचोपचार-पूजन से विधिवत स्थापित करें. माता लक्ष्मी का ध्यान करें, श्रीसूक्त का पाठ करें. जितना संभव हो सके, कमलगट्टे की माला से नियमित इस मंत्र का जाप करते हुए एक गुलाब अर्पित करते रहें :
ú महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नयै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात.
यूं पूजा करके ऐसे श्रीयंत्र को आप इस दिन व्यावसायिक स्थल पर भी स्थापित कर सकते हैं. लक्ष्मी की अपार कृपा हो जायेगी.
खास बातें
1- जिन जातकों के कार्यो में अड़चनें आ रही हैं, अथवा जिनके व्यापार में लगातार हानि हो रही है.
2- अधिक परिश्रम के बावजूद धन नहीं टिकता है और घर में अशांति बनी रहती है.
3- संतान मनोकूल कार्य ना करें तथा विरोधी चहुंओर से परेशान कर रहे हों.
4- जिन महिलाओं के वैवाहिक सुख में तनाव या अवसाद की स्थिति बनी रहती है.
ऐसे में अक्षय तृतीया का व्रत रख कर और गर्मी में निम्न वस्तुओं जैसे – छाता, दही, जूता-चप्पल, जल का घड़ा, सत्तू, खरबूजा, तरबूज, बेल का शरबत, मीठा जल, हाथवाले पंखे, टोपी, सुराही आदि का दान करने से उपरोक्त समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है.
अक्षय तृतीया पर उपाय अंतहीन
– आखा तीज पर ऋण से मुक्ति हेतु ‘कनकधारा यंत्र’ की लाल वस्त्र पर पूजा कर घर में स्थापना करें. पंचोपचार से पूजा करें. 51 दिनों तक श्रद्धा से यंत्र का पाठ करें. धीरे-धीरे ऋण कैसे उतर गया, यह पता भी नहीं चलेगा.
– आकस्मिक धन प्राप्ति हेतु अक्षय तृतीया से प्रारंभ करते हुए माता लक्ष्मी के मंदिर में हर शुक्र वार धूपबत्ती व गुलाब की अगरबत्ती दान करने से जीवन में अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं.
– वास्तुदोष से यदि आर्थिक समृद्धि रु की हो, तो ढक्कन सहित एक चांदी की डिबिया में गंगाजल भर दें. डिब्बी पर मौली के साथ एक मूंगा बांध दें. अक्षय तृतीया को इसे ईशान-कोण में स्थापित कर दें. आर्थिक समृद्धि मिलने लगेगी. सभी प्रकार का नुकसान खत्म हो जायेगा.
– धनधान्य में श्रीवृद्धि हेतु अक्षय तृतीया को एक मुट्ठी बासमती चावल श्री महालक्ष्मी का ध्यान व श्री मंत्र का जाप करते हुए बहते जल में प्रवाहित कर दें. आश्चर्यजनक लाभ होगा.
– धन की विशेष प्राप्ति के लिए अक्षय तृतीया को स्वर्ण में जड़ित चौदहमुखी रु द्राक्ष का प्रथम पंचोपचार से पूजन करें. लाल फूल अर्पित करें. रु द्राक्ष की माला से ú हृीं नम: मम गृहे धनं कुरु कुरु स्वाहा की एक माला का जाप करें. 42 दिन तक जप करें. तत्पश्चात रु द्राक्ष को गले में धारण कर लें.
– अक्षय तृतीया को दान व उपवास करने से हजार गुना फल मिलता है. महालक्ष्मी की साधना विशेष लाभकारी व फलदायी सिद्ध होती है.
अक्षय तृतीया पर यह करें
– अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह प्रवेश, भूमि-पूजन, वाहन खरीदना, स्वर्णाभूषण क्र य, पदभार ग्रहण, नया सामान क्र य, नया व्यापार शुरू करने के साथ समस्त शुभ कार्यों को प्रारंभ किया जा सकता है.
– इस दिन समुद्र या गंगा अथवा किसी अन्य नदी में स्नान करना चाहिए.
– प्रात: पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल व वस्त्र आदि दान करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. फिर उसे दक्षिणा भी देकर विदा करना चाहिए.
– इस दिन व्यक्ति को सत्तू अवश्य खाना चाहिए.
– इस दिन नये वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए.
– नये स्थान, संस्थान, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी इसी दिन करना चाहिए.
सप्ताह के व्रत-त्योहार
– 15 अप्रैल : वरुथिनी एकादशी व्रत सबका, वल्लभाचार्य जयंती, सौर (मेष) वैशाख मासारंभ, शुक्र रोहिणी नक्षत्र में 08.48 बजे, बांग्ला वैशाख संवतारंभ (पोयला बैशाख), पंचक
– 16 अप्रैल : प्रदोष व्रत, संत सेन जयंती, पंचक, वैशाख कृष्ण द्वादशी-त्रयोदशी
– 17 अप्रैल : मास शिवरात्रि व्रत या शिव चतुर्दशी, पंचक, मंगल अस्त पश्चिम में 14.21 बजे, 14 तिथि क्षय.
– 18 अप्रैल : स्नान-दान-श्रद्धादि की देवपितृकार्य अमावस्या, शुकदेव मुनि जयंती, बुध भरणी नक्षत्र में 17.32 बजे, पुरातत्व संरक्षण दिवस, पंचक (शाम 5.4 तक), तात्या टोपे बलिदान दिवस.
– 19 अप्रैल : इष्टि, वैशाख मास शुक्लपक्षारंभ, देव-दामोदर तिथि(असम), गुरु अंगद देव जयंती.
– 20 अप्रैल : चंद्रदर्शन मु 30 साम्यर्घ, भगवान परशुराम जयंती (प्रदोष काल व्यापिनी तृतीया में), छत्रपति शिवाजी जयंती (तिथ्यानुरूप), वैशाख शुक्ल द्वितीया, सूर्य सायन वृष राशि में 14.54 बजे, बुध उदय पश्चिम में 7.22 बजे.
– 21 अप्रैल : अक्षय तृतीया (रोहिणी नक्षत्रयुता), त्रेतायुगादि, वर्षीतप समापन(जैन), पितृ पितामहादि के निमित्त सत्तू चीनी फल धर्म घटादि दान, त्रिलोचन दर्शन-यात्रा , केदार-बद्री यात्रा शुभारंभ, मातंगी जयंती, कल्पादि, राष्ट्रीय वैशाख मासारंभ, हिजरी रज्जब 7वां माह शुरू, अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती सज्जरी अलह के मज़ार पर उर्स का मेला शुरू, चंदन यात्रा, वैशाख शुक्ल तृतीया.
सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी आखा तीज का विशेष महत्व
यदि आपकी जन्म कुंडली में स्थित ग्रह आप पर अशुभ प्रभाव डाल रहे हैं, तो इसके लिए उपाय भी अक्षय तृतीया से ही प्रारंभ किये जा सकते हैं.
उपाय : अक्षय तृतीया को सुबह जल्दी उठ कर नित्य कार्यो से निबट कर तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर भगवान सूर्य को पूर्व की ओर मुख करके चढ़ायें तथा इस मंत्र का जप करें –
ऊँ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात.
प्रत्येक दिन सात बार यह प्रक्रि या दोहरायें.आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपका भाग्य चमक उठेगा. यदि यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाये, तो और भी शीघ्र फल देता है.
अगर नहीं हो रही शादी : ज्यादातर माता-पिता व युवाओं की अहम समस्या है सही समय पर शादी. आधुनिकता की दौड़ में युवा अपने कॅरियर को लेकर इतने व्यस्त रहते हैं कि उनकी शादी की सही आयु कब निकल जाती है, उन्हें पता भी नहीं चलता. ऐसे में कई लोगों का विवाह होना मुश्किल हो जाता है. यहां एक अचूक प्रयोग बता रहे हैं, जिससे अविवाहित युवाओं की विवाह संबंधी समस्या का त्वरित निराकरण हो जायेगा. यह प्रयोग लड़के व लड़कियों दोनों द्वारा किया जा सकता है.
प्रयोग विधि : इस प्रयोग को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए.
– यह प्रयोग रात के समय किया जाना चाहिए.
– आप एक बाजोटा (ऊंचा आसन या चौकी) / पटिये पर पीला कपड़ा बिछाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस पर बैठ जायें.
– मां पार्वती का चित्र अपने सामने रखें.
– अपने सामने बाजोट पर एक मुट्ठी गेहूं की ढेरी रखें.
– गेहूं पर एक विवाह बाधा निवारण यंत्र स्थापित करें और चंदन अथवा केसर से तिलक करें.
उक्त पूरी प्रक्रि या ठीक से होने के बाद हल्दी माला से निम्न मंत्र का जप करें :
लड़कों के लिए मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीं
तारणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोदभवां.
लड़कियों के लिए मंत्र
‘ऊँ गं घ्रौ गं शीघ्र विवाह सिद्धये गौर्यै फट्.
उक्त मंत्र से चार दिनों तक नित्य 3-3 माला का जप करें. अंतिम दिन इस सामग्री को देवी पार्वती के श्रीचरणों में किसी भी मंदिर में छोड़ आयें. शीघ्र ही आपका विवाह हो जायेगा. यह प्रयोग पूरी श्रद्धा व भक्ति से करें. यह सिद्ध प्रयोग है, अतएव मन में कोई संदेह ना लायें अन्यथा उपाय का प्रभाव खत्म हो जायेगा.
हिंदू धर्मशास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि से जुड़े रोचक तथ्य
– भारतीय कालगणना के अनुसार वर्ष में चार स्वयंसिद्ध अभिजीत मुहूर्त होते हैं, अक्षय तृतीया या आखा तीज भी उन्हीं में से एक है. इसके अलावा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा), दशहरा व दीपावली के पूर्व की प्रदोष तिथि भी अभिजीत मुहूर्त हैं. वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त हैं. उनमें प्रमुख स्थान अक्षय तृतीया का होता है.
– इसी दिन जग के पालनहार भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव व परशुराम जी का अवतार लिया था.
– भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है. इसी दिन से सतयुग व त्रेतायुग का प्रारंभ मानते हैं.
– ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव/प्रादुर्भाव भी अक्षय तृतीया को हुआ था.
– अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त होने से सर्वाधिक विवाह भी इसी दिन होते हैं.
– प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनारायण के कपाट भी अक्षय तृतीया को ही खुलते हैं. इस दिन से ही भगवान बद्रीनारायण के पट खुलते हैं.
– वर्ष में एक बार अक्षय तृतीया को ही वंृदावन के श्री बांकेबिहारीजी के मंदिर में श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं. बाकी वर्षभर देव के चरण वस्त्रों से ढंके रहते हैं.
– महाभारत के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अक्षय तृतीया के दिन अक्षय-पात्र दिया था. इसमें कभी अन्न-धन समाप्त नहीं होता था.
– इस दिन शुभ एवं पवित्र कार्य करने से जीवन में सुख-शांति आती है. इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें