छोटी-छोटी सावधानी

जीवन की बड़ी-बड़ी सफलता, संभावनाएं, उपलब्धियों का आधार हमारे के तरीकों पर निर्भर है. हम कैसे चलते हैं, उठते-बैठते हैं, सार्वजनिक जीवन की आवश्यक बातों का कितना ध्यान रखते हैं, इसी पर हमारे जीवन का निर्माण होता है. किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए इन व्यावहारिक बातों में सफल होना आवश्यक है. जो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2015 5:27 AM

जीवन की बड़ी-बड़ी सफलता, संभावनाएं, उपलब्धियों का आधार हमारे के तरीकों पर निर्भर है. हम कैसे चलते हैं, उठते-बैठते हैं, सार्वजनिक जीवन की आवश्यक बातों का कितना ध्यान रखते हैं, इसी पर हमारे जीवन का निर्माण होता है.

किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए इन व्यावहारिक बातों में सफल होना आवश्यक है. जो अपने व्यवहार में इन बातों का ध्यान नहीं रखते, दूसरों के हित-अनहित का विचार नहीं करते, स्वेच्छाचार अपनाते हैं, वे समाज-द्रोही कहलाते हैं. इस तरह के समाज-द्रोहियों की छोटी-छोटी बातों से भी समाज का बहुत बड़ा अहित होता है.

उनका स्वयं का अहित तो निश्चित ही है. सड़कों, सार्वजनिक रास्तों पर कितने ही लोग इस तरह चलते हैं मानो सड़क सिर्फ उन्हीं के लिए बनायी गयी है. बीच में चलते हैं, किंतु होता यह है कि किसी गाड़ी के आने पर इधर-उधर भागने लगते हैं. इस तरह की घटनाएं सामान्य हो गयी हैं.

थोड़ी सी भूल के कारण जान से हाथ धोना पड़ता है. इस तरह सार्वजनिक जीवन के प्रति लापरवाही और असावधानी की बीमारी मनुष्य पालित पशुओं, बच्चों में फैल जाती है. लोग दूध पीने की लालच में पशु पालते हैं किंतु उनके खर्च से बचने के लिए पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं. इस तरह बाजार में पशुओं के युद्ध से जन-धन की भी हानि होती है.

पशुओं की इस स्थिति में मनुष्यों का ही हाथ है, जो समय पर उन्हें पकड़ कर दूध निकाल लेते हैं और फिर छोड़ देते हैं. इन मामूली सी दिखनेवाली चीजों से लोगों को बचना होगा.

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

Next Article

Exit mobile version