क्या खोज रहे हैं हम!
इस बेचैन संसार में हर कोई किसी न किसी तरह की शांति, किसी खुशी, किसी आश्रय को पाने के लिए तरस रहा है. ऐसे में, हम आखिर क्या ढूंढ रहे हैं, क्या पाना चाह रहे हैं, इसका पता लगाना जरूरी है. संभवत: हममें से अधिकांश लोग किसी प्रकार की प्रसन्नता की, किसी प्रकार की शांति […]
इस बेचैन संसार में हर कोई किसी न किसी तरह की शांति, किसी खुशी, किसी आश्रय को पाने के लिए तरस रहा है. ऐसे में, हम आखिर क्या ढूंढ रहे हैं, क्या पाना चाह रहे हैं, इसका पता लगाना जरूरी है.
संभवत: हममें से अधिकांश लोग किसी प्रकार की प्रसन्नता की, किसी प्रकार की शांति की खोज कर रहे हैं; अशांति, युद्ध, संघर्ष, कलह से भरे इस संसार में हम एक ऐसा आश्रय चाहते हैं, जहां कुछ शांति हो. मुङो लगता है अधिकांश व्यक्ति यही चाहते हैं. इसीलिए हम खोज में लगे हैं, हम एक गुरु से दूसरे गुरु की ओर दौड़ते रहते हैं. तो, क्या वास्तव में हम खुशी की खोज कर रहे हैं या किसी प्रकार की परितुष्टि की, जिससे हम खुशी पा लेने की उम्मीद रखते हैं? खुशी और तुष्टि में अंतर है. आप संभवत: तुष्टि प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन खुशी नहीं. खुशी आनुषंगिक है, वह तो किसी और चीज के साथ अनायास चली आती है.
यहां तीव्र जिज्ञासा की, ध्यान देने की, सोच की, ख्याल की जरूरत है, ऐसी किसी चीज की खोज में लगने से पहले हमें पता लगाना होगा कि हम पाना क्या चाहते हैं; खुशी या तुष्टि? मुङो लगता है कि हममें से अधिकांश व्यक्ति तुष्टि की तलाश कर रहे हैं. हम संतुष्ट होना चाहते हैं, अपनी खोज के अंत में पूर्णता का एहसास करना चाहते हैं. आखिरकार यदि कोई व्यक्ति शांति खोज रहा है, तो उसे वह बड़ी आसानी से पा सकता है.
जे कृष्णमूर्ति