चेतन शक्ति के सनातन अंश
जब तुमसे भगवती के संबंध घनिष्ठ हो जायेंगे, तब उनका ध्यान करते ही तुम्हें उनका प्रत्यक्ष आदेश-निर्देश प्राप्त होने लगेंगे. तुम्हारे भीतर एक बदलाव दृष्टिगोचर होने लगेगा. तुम्हारा मन, हृदय आदि एक विशेष प्रकार के रूपांतर का अनुभव करने लगेंगे. जब तुम्हारे भीतर ऐसा हो, तो यह बहुत ही आवश्यक है कि तुम अपने आपको […]
जब तुमसे भगवती के संबंध घनिष्ठ हो जायेंगे, तब उनका ध्यान करते ही तुम्हें उनका प्रत्यक्ष आदेश-निर्देश प्राप्त होने लगेंगे. तुम्हारे भीतर एक बदलाव दृष्टिगोचर होने लगेगा. तुम्हारा मन, हृदय आदि एक विशेष प्रकार के रूपांतर का अनुभव करने लगेंगे. जब तुम्हारे भीतर ऐसा हो, तो यह बहुत ही आवश्यक है कि तुम अपने आपको अहंकार के समस्त विकृत दोषों से मुक्त रखो.
मन प्राण या देह के किसी अंग प्रत्यंग में ऐसी कोई बात न रहे, जो तुम्हारे अंदर कर्म करनेवाली महती शक्तियों की उस महत्ता को अपने काम में प्रयुक्त कर विकृत कर दे. ऐसी कोई बात भी न हो कि तुम्हारी अपनी ही निष्ठा और विमल अभीप्सा तुम्हारी सत्ता के सब स्तरों और क्षेत्रों में व्यापक हो. जब ऐसा होगा तब सब प्रकार के क्षोभ और विकार उत्पन्न करनेवाली सब वृत्तियां, प्रवृत्तियां तुम्हारे स्वभाव से धीरे-धीरे दूर हो जायेंगी.
इस सिद्धि की चरम अवस्था तब होगी, जब तुम भगवती के साथ पूर्णतया एकीभूत हो जाओगे. अपने आपको कोई पृथक सत्ता, यंत्र, सेवक या कर्मो को तो नहीं ही जानोगे, बल्कि यह भी अनुभव करोगे कि तुम सचमुच ही माता के शिशु हो. उन्हीं की चेतना और शक्ति के सनातन अंश हो. सदा ही वे तुम्हारे अंदर रहेंगी और तुम उनके अंदर, तुम्हारी यह सतत, सहज, स्वाभाविक अनुभूति होगी कि तुम्हारा सोचना, समझना, देखना, सुनना और कर्म करना सब कुछ उन्हीं से हो रहा है.
श्री अरविंदो