अकेली नहीं है राजनीति

आज की राजनीति पर कुछ भी कहने के पहले दो बातें समझ लेनी जरूरी हैं. एक तो यह कि आज जो नजर आता है, वह आज का ही नहीं होता, बल्कि बीते हुए कल, आज में सम्मिलित होते हैं. आज की स्थिति को समझना हो तो कल की इस पूरी श्रृंखला को समङो बिना नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2015 5:29 AM
आज की राजनीति पर कुछ भी कहने के पहले दो बातें समझ लेनी जरूरी हैं. एक तो यह कि आज जो नजर आता है, वह आज का ही नहीं होता, बल्कि बीते हुए कल, आज में सम्मिलित होते हैं.
आज की स्थिति को समझना हो तो कल की इस पूरी श्रृंखला को समङो बिना नहीं समझा जा सकता. मनुष्य की प्रत्येक आज की घड़ी पूरे अतीत से जुड़ी है. दूसरी बात यह कि राजनीति कोई जीवन का ऐसा अलग हिस्सा नहीं है, जो धर्म, साहित्य, कला से भिन्न हो. हमने जीवन को खंडों में तोड़ा है. राजनीति अकेली नहीं है, उसमें जीवन के सब पहलू और सब धाराएं जुड़ी हैं. और जो आज का है, वह भी सिर्फ आज का नहीं है, सारे कल उसमें समाविष्ट हैं.
मैं बीते कल पर इसलिए जोर देना चाहता हूं, कि भारत की आज की राजनीति में जो उलझाव है, उसका गहरा संबंध हमारी अतीत की समस्त राजनीतिक दृष्टि से जुड़ा है. जैसे, भारत का पूरा अतीत इतिहास और भारत का पूरा चिंतन राजनीति के प्रति वैराग सिखाता है. अच्छे आदमी को राजनीति में नहीं जाना है, यह भारत की शिक्षा रही है.
और जिस देश का यह खयाल हो कि अच्छे आदमी को राजनीति में नहीं जाना है, अगर उसकी राजधानियों में सब बुरे आदमी इकट्ठे हो जायें, तो आश्चर्य नहीं है. जब हम ऐसा मानते हैं कि अच्छे आदमी का राजनीति में जाना बुरा है, तो बुरे आदमी का राजनीति में जाना अच्छा हो जाता है.
आचार्य रजनीश ओशो

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