जीवात्मा की सत्ता

अणु की सत्ता की व्याख्या करनेवाले वैज्ञानिक उसे सुविस्तृत पदार्थ वैभव का छोटा सा अविच्छिन्न घटक मानते हैं. आत्मा क्या है? परमात्म सत्ता का एक छोटा सा अंश. अणु की अपनी स्वतंत्र सत्ता लगती भर है, पर जिस ऊर्जा आवेश के कारण उसका अस्तित्व बना है तथा क्रियाकलाप चल रहा है, वह व्यापक ऊर्जा तत्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2015 6:49 AM

अणु की सत्ता की व्याख्या करनेवाले वैज्ञानिक उसे सुविस्तृत पदार्थ वैभव का छोटा सा अविच्छिन्न घटक मानते हैं. आत्मा क्या है? परमात्म सत्ता का एक छोटा सा अंश. अणु की अपनी स्वतंत्र सत्ता लगती भर है, पर जिस ऊर्जा आवेश के कारण उसका अस्तित्व बना है तथा क्रियाकलाप चल रहा है, वह व्यापक ऊर्जा तत्व से भिन्न नहीं है. एक ही सूर्य की अनंत किरण संसार में फैली रहती है. एक ही समुद्र में अनेक लहरें उठती रहती हैं.

ऐसा देखने पर प्रतीत होता है कि किरणों एवं लहरों की स्वतंत्र सत्ता है, जो एक-दूसरे से भिन्न है. पर सत्य की गहराई में जाने पर पता चलता है कि भिन्नता कृत्रिम और एकता वास्तविक है. अलग-अलग बर्तनों में आकाश की कितनी ही स्वतंत्र सत्ताएं दिखायी पड़ती हैं पर तथ्यत: उनका अस्तित्व निखिल आकाशीय सत्ता से भिन्न नहीं है. पानी में अनेक बुलबुले उठते और विलीन होते रहते हैं. बहती धारा में कितने ही भंवर पड़ते हैं.

दीखने में बुलबुले और भंवर अपना स्वतंत्र अस्तित्व प्रकट कर रहे होते हैं, पर यथार्थ में वे प्रवाहमान जलधारा की सामयिक हलचलें मात्र हैं. जीवात्मा की स्वतंत्र सत्ता दीखती भर है, पर उसका अस्तित्व विराट चेतना का ही एक अंश है.

– पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

Next Article

Exit mobile version