9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुहागिनों का पर्व ”करवाचौथ”, जानें क्‍या है खास

अपने पति की दीर्घ आयु के लिए महिलायें 30 अक्‍टूबर को करवाचौथ का व्रत रखेंगी. यह व्रत सुहागिनों के लिए विशेष व्रत होता है. इस दिन वे निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोलती हैं. करवाचौथ के दिन चंद्रोदय रात करीब 8:32 बजे होगा! सुहागिन महिलायें इस दिन सोलह श्रृंगार […]

अपने पति की दीर्घ आयु के लिए महिलायें 30 अक्‍टूबर को करवाचौथ का व्रत रखेंगी. यह व्रत सुहागिनों के लिए विशेष व्रत होता है. इस दिन वे निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोलती हैं. करवाचौथ के दिन चंद्रोदय रात करीब 8:32 बजे होगा! सुहागिन महिलायें इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है और चांद के दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं.

कुंवारीकन्‍याएं भी करती हैं यह व्रत

कुंवारी कन्‍याएं सुयोग्‍य वर के लिए यह व्रत करेंगी और मां गौरी की पूजा-अर्चना करेंगी. वे भी पूरा दिन निर्जला व्रत रखेंगी और रात को चंद्र के दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत खोलेंगी.

इस बार करवाचौथ में क्‍या है खास

इस बार करवाचौथ शु्क्रवार और रोहिणी नक्षत्र में करवाचौथ व्रत पड़ रहा है. इस बार यह विशेष संयोग सुहागिनों के लिए मंगलकारी होनेवाला है. सुहागिनों का सुहाग तो अटल रहेगा ही, आपके प्रति पति का आकर्षण भी बढ़ेगा. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी भी शाम 4:57 तक है. रोहिणी नक्षत्र होने के कारण पति-पत्‍नी के संबंधों में मिठास आयेगी. एक दूसरे के प्रति लगाव भी धीरे धीरे बढ़ता जायेगा और दोनों का रिश्‍ता मजबूत बना रहेगा.

पौराणिक समय से ही करवाचौथ व्रत

पौराणिक समय से ही करवाचौथ व्रत रखने की प्रथा चली आ रही है जिसकी शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने अपने पतियों के लिए व्रत रख की थी. ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी के करवाचौथ व्रत रखने से ही पांडवों को महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी.

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को दिन भर निर्जल व्रत रखने के बाद, शाम को चाँद निकले के बाद, चाँद को जल का अर्घ्य देने के साथ ही करवाचौथ का व्रत संपन्न होता है. माना जाता है कि चाँद शिव भगवान का गहना है इसलिए करवाचौथ के दिन शिव-पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है.

यह भी मान्यता है कि शैलपुत्री पार्वती ने भी शिव भगवान को इसी प्रकार के कठिन व्रत से पाया था इसलिए यह व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए भी उपयोगी माना जाता है. इस दिन को खास श्री कृष्ण का आशीर्वाद माना जाता है. इसके लिए एक घटना प्रचलित है द्वापर युग में एक बार अर्जुन, वनवास के दौरान नीलगिरी पर्वत पर जब तपस्या करने गये थे. तब कई दिनों तक अर्जुन वापस नहीं आये, तो द्रौपदी को चिंता हुई.

अपनी चिंता द्रौपदी ने जब कृष्ण को बताई तो उन्होंने द्रौपदी से न सिर्फ करवाचौथ व्रत रखने को कहा बल्कि शिव द्वारा पार्वती जी को जो करवाचौथ व्रत की कथा सुनाई गई थी, उसे स्वयं द्रौपदी को सुनाने को कहा. मान्यता है कि जिन दंपत्तियों के बीच छोटी छोटी बात को लेकर अनबन रहती है वह यदि करवाचौथ व्रत रखें तो उनका आपसी मनमुटाव दूर हो जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें