आंतरिक अभिषेक

अभिषेक शिव-पूजा का एक अभिन्न अंग है. इसके बिना शिव-आराधना अधूरी है. अभिषेक के दौरान विशेष लय और सुर के साथ रुद्रीपाठ, पुरुषसुक्त पाठ, महामृत्युंजय जप आदि किये जाते हैं. सोमवार भगवान भगवान शिव का विशेष महत्वपूर्ण दिन है और प्रदोष का दिन बहुत पवित्र माना जाता है. इन दिनों में भक्त भगवान शिव की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2015 1:12 AM

अभिषेक शिव-पूजा का एक अभिन्न अंग है. इसके बिना शिव-आराधना अधूरी है. अभिषेक के दौरान विशेष लय और सुर के साथ रुद्रीपाठ, पुरुषसुक्त पाठ, महामृत्युंजय जप आदि किये जाते हैं. सोमवार भगवान भगवान शिव का विशेष महत्वपूर्ण दिन है और प्रदोष का दिन बहुत पवित्र माना जाता है. इन दिनों में भक्त भगवान शिव की विशेष आराधना करते हैं.

जब तुम भाव और श्राद्ध के साथ अभिषेक करते हो तो तुम्हारा मन एकाग्र होता है. तुम्हारा हृदय भगवान की छवि और उनसे संबंधित दिव्य विचारों से भर जाता है. तुम अपने शरीर को भुला कर आस-पास के वातावरण से बेखबर हो जाते हो. जब विस्मरण का भाव आता है, तब तुम आनंद से भर जाते हो और अंदर स्वर्गीय आनंद एवं साक्षात् भगवान शिव की अनुभूति होती है. अभिषेक तुम्हें स्वास्थ्य, संपदा, खुशहाली और समृद्धि प्रदान करता है.

सबसे श्रेष्ठ और उत्तम अभिषेक है शुद्ध प्रेम के जल को हृदय-कमल में स्थित आत्मलिंग पर चढ़ाना. भिन्न-भिन्न उपचारों से बाह्य अभिषेक भगवान शिव के प्रति समर्पण और श्रद्धा के विकास में मदद करेगा, और अंत में शुद्ध प्रेम का प्रवाह आंतरिक अभिषेक की ओर ले जायेगा.

-स्वामी शिवानंद सरस्वती

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