देश के कायाकल्प के लिए

हमारा मानना है कि देश का शासन सरकार करती है, पर देश की उन्नति सरकार के बस की बात नहीं है. राष्ट्र और समाज की उन्नति के लिए राष्ट्र में संस्थाओं का जन्म होना चाहिए. हमारे देश में ऐसी संस्थाओं की बहुत कमी है. लोग शिक्षा, सुरक्षा, पानी, बीज, अस्पताल, सब चीजों के लिए सरकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2015 1:12 AM

हमारा मानना है कि देश का शासन सरकार करती है, पर देश की उन्नति सरकार के बस की बात नहीं है. राष्ट्र और समाज की उन्नति के लिए राष्ट्र में संस्थाओं का जन्म होना चाहिए. हमारे देश में ऐसी संस्थाओं की बहुत कमी है. लोग शिक्षा, सुरक्षा, पानी, बीज, अस्पताल, सब चीजों के लिए सरकार पर जो निर्भर रहते हैं, वह पद्धति गलत है.

इससे सरकार की आदत खराब हो जाती है. समाज और देश को चलाने के लिए संस्थाओं की आवश्यकता है. हर तरह की संस्था, जो समाज की विभिन्न आवश्यकताओं और जिम्मेवारियों को अपने सिर पर ले सके. हम सभी महात्माओं और विचारकों से कहते हैं कि हर पंचायत में एक साधु बैठे.

भारत के उत्थान में पांच वर्ष भी नहीं लगेंगे. अगर एक-एक आश्रम और एक-एक संन्यासी एक-एक पंचायत को ले ले, तो देश का कायाकल्प हो जाये, क्योंकि उनके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है.

अस्पताल, स्कूल या कॉलेज खोलना संन्यासियों का धर्म नहीं है, यह तो आप लोगों का धर्म है, पर आप लोग करते ही नहीं. आप लोगों को अपने मियां-बीवी, बेटा-बेटी से फुर्सत मिलेगी, तब करोगे न! इसलिए यह काम संन्यासियों को उठाना पड़ेगा.

– स्वामी निरंजनानंद सरस्वती

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