तनाव के कारण हम स्वयं

यदि तुम्हारे जीवन में सिर्फ सुखद घटनाएं ही मिलें, तो तुम्हारा पूरा जीवन विरक्ति से गतिहीन हो जायेगा. तब तुम पत्थर-से बन जाओगे. इसलिए तुम्हें सचेतन रखने के लिए प्रकृति तुम्हें समय-समय पर छोटी-छोटी चुभन देती रहती है. अकसर हम जीवन में दूसरों पर दोष लगाते हैं. लेकिन, सच यह है कि हमें जीवन में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2015 1:01 AM
यदि तुम्हारे जीवन में सिर्फ सुखद घटनाएं ही मिलें, तो तुम्हारा पूरा जीवन विरक्ति से गतिहीन हो जायेगा. तब तुम पत्थर-से बन जाओगे. इसलिए तुम्हें सचेतन रखने के लिए प्रकृति तुम्हें समय-समय पर छोटी-छोटी चुभन देती रहती है. अकसर हम जीवन में दूसरों पर दोष लगाते हैं.
लेकिन, सच यह है कि हमें जीवन में दुख किसी व्यक्ति या किसी चीज से नहीं मिलता. यह तुम्हारा अपना मन है, जो तुम्हें दुखी करता है और तुम्हारा अपना मन है, जो तुम्हें खुश और उत्साहित बनाता है. तुम्हारे पास जो भी है अगर तुम उससे पूरी तरह से संतुष्ट हो, तो तुम्हें जीवन में कोई आकांक्षा नहीं रह जाती. आकांक्षा होना जरूरी है, लेकिन अगर तुम उसके लिए उत्तेजित रहोगे, तो वही उत्तेजना बाधा बन जायेगी.
जो लोग अति-महत्वाकांक्षी और उत्तेजित होते हैं, उनके साथ ऐसा ही होता है. केवल एक संकल्प रखो, यह है जो मुझे चाहिए- और उसे छोड़ दो! हम अपनी नकारात्मक भावनाओं के जरिये वातावरण को सूक्ष्म रूप से प्रदूषित करते हैं. कभी-कभी तनाव और नकारात्मकता से हम नहीं बच पाते हैं. हम कभी-कभी सभी प्रकार की भावनाओं से होकर गुजरते हैं. इसीलिए कभी निर्बल और दिशाहीन महसूस करते हैं.
– श्रीश्री रविशंकर

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