आध्यात्म के शिखर पर हैं, स्वामी सत्यानंद

-हरिवंश- रखिया आश्रम (देवघर) की हमारी यह तीसरी यात्रा थी. दो बार बिना दर्शन के हमें लौटना पड़ा था. हमारा मकसद था, स्वामी सत्यानंद सरस्वती का दर्शन.स्वामी सत्यानंद सरस्वती! प्रेस-मीडिया से नितांत दूर रहनेवाले संत. राजनीति-राजनीतिज्ञों से कोई सरोकार नहीं. संतों के अतीत के बारे में वह कहते हैं, रमता जोगी, बहता पानी. वह अपना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2016 12:43 PM

-हरिवंश-

रखिया आश्रम (देवघर) की हमारी यह तीसरी यात्रा थी. दो बार बिना दर्शन के हमें लौटना पड़ा था. हमारा मकसद था, स्वामी सत्यानंद सरस्वती का दर्शन.स्वामी सत्यानंद सरस्वती! प्रेस-मीडिया से नितांत दूर रहनेवाले संत. राजनीति-राजनीतिज्ञों से कोई सरोकार नहीं. संतों के अतीत के बारे में वह कहते हैं, रमता जोगी, बहता पानी. वह अपना अतीत नहीं पलटते. वर्षों से उनके बारे में इधर-उधर से चीजें पढ़ता-सुनता रहा हूं.

वह स्वामी शिवानंद के शिष्य हैं. 1943 में संन्यास लिया. 19 वर्ष की उम्र में. उनकी 2000 एकड़ की खेती थी. 2000 एकड़ में जंगल-नदियां. त्याग दिया. 30-31 वर्ष की उम्र में गुरु का आश्रम छोड़ा. 1963 में इष्टदेव के पास त्रयंबकेश्वर गये. बीस साल योग के प्रचार में रहे. दुनिया में योग को प्रतिष्ठित किया. उस संस्था को शिखर पर पहुंचा कर 1983 में उसे भी छोड़ दिया. जुलाई 1989 में फिर त्रयंबकेश्वर गये. गौशाला में एक छोटा कमरा लिया. वहां उन्हें चिताभूमि (देवघर) जाने का संदेश मिला. रिखिया आये, जहां महज दो पेड़ और बंजर भूमि थी. तब से एक ही बार खाते हैं.

पंचाग्नि और जप शुरू किया. अंतरराष्ट्रीय योग मित्र मंडल बनाया. 1963 में बिहार योग विद्यालय की स्थापना की. बिहार योग विद्यालय की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनी. इसी योग विद्यालय में राष्ट्रपति कलाम एक बार जा चुके हैं, दूसरी बार आज गये. 1984 में अपने गुरु परमहंस शिवानंद की स्मृति में शिवानंद मठ स्थापित किया. 1984 में ही योग रिसर्च फाउंडेशन बनाया. इन संस्थाओं को शिखर पर पहुंचा कर स्वत: इनसे मुक्त हो गये.

उनके एक प्रवचन में पढ़ा ‘मैं तो किसी संस्था से जुड़ा भी नहीं हूं’. मैं अलख निरंजन हूं. मेरा न मुंगेर से कोई मतलब है, न इस संस्था से कोई मतलब है… मेरे पास कुछ है भी नहीं ‘लंगोटी के अलावा’. 1955 में परिव्राजक बन कर भ्रमण के लिए निकले थे. अफगानिस्तान, श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, हिमालय, पूरे भारत की पैदल यात्रा की.

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