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वाक शुद्धि का तरीका
यदि आप इस मानव शरीर को एक अधिक ऊंची संभावना के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो सही किस्म की ध्वनियों या गूंजों की एक नींव जरूरी है. वरना आपका सिस्टम हमेशा आपके पीछे घिसटता ही रहेगा. अगर आप उसे एक अधिक बड़ी संभावना बनाना चाहते हैं, तो जरूरी है कि बुनियाद सही तरीके […]
यदि आप इस मानव शरीर को एक अधिक ऊंची संभावना के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो सही किस्म की ध्वनियों या गूंजों की एक नींव जरूरी है. वरना आपका सिस्टम हमेशा आपके पीछे घिसटता ही रहेगा. अगर आप उसे एक अधिक बड़ी संभावना बनाना चाहते हैं, तो जरूरी है कि बुनियाद सही तरीके की ध्वनियों की हो और इसके लिए वाक शुद्धि एक महत्वपूर्ण अंग है.
वाक शुद्धि यानी आप जिन शब्दों का उच्चारण करते हैं, उन्हें शुद्ध बनाना. यदि आप सिर्फ अपने भीतर मौन हो जायें, तो इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है. बोलने की क्षमता मनुष्य को मिला एक विशेष उपहार है. लेकिन एक इंसान द्वारा बोले जानेवाले शब्दों की रेंज जितनी कम होगी, उसकी वाक शुद्धि उतनी ही कम होगी. भारतीय भाषाओं की तुलना में, अंगरेजी में शब्दों या ध्वनियों की रेंज कम है.
इसी वजह से अगर आप अपने जन्म से केवल अंगरेजी ही बोलते रहे हैं, तो आपके लिए कोई मंत्र या दूसरी भाषा बोलना बहुत मुश्किल होगा. यदि ध्वनियों या शब्दों की संरचना वैज्ञानिक तरीके से की जाती, जैसा कि मंत्रों और संस्कृत भाषा में होता है, तो चाहे आप बिना अधिक जागरूकता के कुछ बोलें, फिर भी ध्वनियों की खास व्यवस्था के कारण आपको लाभ होता. संस्कृत भाषा को काफी सोच-समझ कर तैयार किया गया था, ताकि सिर्फ उस भाषा को बोलना ही शरीर का शुद्धिकरण कर दे. लेकिन अब हम अधिकांश समय उन भाषाओं को बोलते हैं, जिन्हें इस तरह तैयार नहीं किया गया है. इसलिए अच्छा है कि आप अपने इरादे को अच्छा करके इसे संभालिए. इसे इच्छाशक्ति से ठीक करना होगा.
कार्मिंक प्रक्रिया का अधिकांश भाग इच्छाशक्ति से सबंधित है, कर्मों से नहीं. आप कोई बात बेहद प्रेम के कारण या किसी दूसरे उद्देश्य से कह सकते हैं. दोनों का शरीर पर एक जैसा असर नहीं होगा. आप अपने हर शब्द में सही उद्देश्य लायें, तो ये शब्द या ध्वनियां आपके भीतर खास रूप में गूंजेंगी. इसलिए आप किसी से बात कर रहे हैं, तो आप इस तरह बोलें, मानो ये शब्द उस व्यक्ति के लिए आपके आखिरी शब्द हों. हर किसी के साथ ऐसा करना आपकी वाक शुद्धि का बहुत बढ़िया तरीका है.
सद्गुरु जग्गी वासुदेव
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