सोमवती अमावस्‍या: पीपल के वृक्ष की पूजा करने से होती है सौभाग्‍य की प्राप्‍ति

पूरे वर्ष में एक या दो बार पड़नेवाली सोमवती अमावस्‍या का हिंदू धर्म में विशेष महत्‍व है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के वृक्ष में भगवान शिव का वास मानकर पूजा-अर्चना और परिक्रमा करती हैं. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2016 1:37 PM

पूरे वर्ष में एक या दो बार पड़नेवाली सोमवती अमावस्‍या का हिंदू धर्म में विशेष महत्‍व है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के वृक्ष में भगवान शिव का वास मानकर पूजा-अर्चना और परिक्रमा करती हैं. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सौभाग्‍य की प्राप्‍ति होती है.

सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है इसलिए सोमवती अमावस्‍या के दिन शिवजी की आराधना, पूजा-अर्चना उन्‍हीं को समर्पित होती है. सोमवती अमावस्‍या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है, जिसके बाद अपने सामर्थ्‍य अनुसार गरीबों को भोजन कराने से फल की प्राप्ति होती है. विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, अक्षत, पुष्प और चन्दन इत्यादि से पूजा कर, वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेटकर परिक्रमा करने का विधान है.

पुराणों के अनुसार इस दिन स्‍नानदान करने की भी परंपरा है. वैसे तो इस दिन गंगा स्‍नान को उत्‍तम माना गया है लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो नदी या सरोवर के किनारे स्‍नान कर सकते हैं. इसके बाद शिव-पार्वती और तुलसी की पूजा कर सोमवती अमावस्‍या का फल प्राप्‍त कर सकते हैं.

ऐसा माना जाता है कि सोमवती अमावस्‍या के दिन पितरों को जल चढ़ाने से उन्‍हें तृप्ति मिलती है. इस दिन तीर्थस्‍थलों पर पिंड दान करने का विशेष महत्‍व है.

इस दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिये तथा सूर्य देवता को जल चढ़ाना चाहिये. व्रती को मूल और रुई का स्‍पर्श नहीं करना चाहिये.

जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है वे लोग इस दिन गाय को दही और चावल खिलाएं जिससे उन्‍हें मानसिक शांति प्राप्त होगी. वहीं इस दिन मौन व्रत धारण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान का आशीर्वाद मिलता है.

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