रथयात्रा आज, 7 दिनों तक मौसी के घर में रहेंगे भगवान जगन्नाथ

पुरी : ओडि़सा के समुद्र किनारे बसे नगर पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आज विहंगम आयोजन है. इस आयोजन में हजारो भक्त भगवान के रथ को खींचकर मुख्‍य मंदिर से मौसीबाड़ी ले जायेंगे. भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ में आसीन होंगे. जगन्नाथ रथयात्रा भारत में मनाए जाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2016 8:41 AM

पुरी : ओडि़सा के समुद्र किनारे बसे नगर पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आज विहंगम आयोजन है. इस आयोजन में हजारो भक्त भगवान के रथ को खींचकर मुख्‍य मंदिर से मौसीबाड़ी ले जायेंगे. भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ में आसीन होंगे. जगन्नाथ रथयात्रा भारत में मनाए जाने वाले धार्मिक महोत्सवों में सबसे प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण माना जाता है. यह रथयात्रा न केवल भारत अपितु विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए भी खासी दिलचस्पी और आकर्षण का केंद्र रहता है. भगवान श्रीकृष्ण के अवतार ‘जगन्नाथ’ की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना जाता है.

सागर तट पर बसे पुरी शहर में होने वाली ‘जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव’ के समय आस्था का जो विराट वैभव देखने को मिलता है, वह और दुर्लभ है. रथयात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण के साथ ही शुरू हो जाती है. देश-विदेश से लाखों लोग इस पर्व के साक्षी बनने हर वर्ष यहां आते हैं.

भारत के चार पवित्र धामों में से एक पुरी के 800 वर्ष पुराने मुख्य मंदिर में योगेश्वर श्रीकृष्ण जगन्नाथ के रूप में विराजते हैं. साथ ही यहां बलभद्र एवं सुभद्रा भी हैं. आज होने वाले इस धार्मिक यात्रा को लेकर जगन्नाथ मंदिर के सूत्रों ने बताया कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा के रथों के रंग-रोगन और सजावट का कार्य पूरी तरह संपन्न हो चुका है.

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा से जुड़ी रोचक बातें :

पुरी (ओडि़सा) स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है. यह मंदिर 800 वर्ष से अधिक पुराना है. यहां भगवान श्रीकृष्‍ण जगन्नाथ के रूप में विराकजत हैं. इनके साथ भाई बलराम (बलभद्र) और इहन सुभद्रा की भी यहां पूजा होती है.

रथयात्रा के लिए श्रीकृष्ण, बलराम और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथों का निर्माण किया जाता है और उन्हें आकर्षक ढंग से सजाया जाता है. रथयात्रा में सबसे आगे बलभद्रजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है.

बलरामजी के रथ को ‘तालध्वज’ कहते हैं, जिसका रंग लाल और हरा होता है. देवी सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है. जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘ नंदीघोष’ या ‘गरुड़ध्वज’ कहते हैं. इसका रंग लाल और पीला होता है.

भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ 45.6 फीट ऊंचा, बलरामजी का तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है.

ये सभी रथ नीम की पवित्र लकड़ियों से बनाये जाते है, जिसे ‘दारु’ कहते हैं. इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है, जिसके लिए जगन्नाथ मंदिर में खास समिति का गठन किया गया है.

इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है. रथों के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ होता है.

जब ये तीनों रथ तैयार हो जाते हैं, तब ‘छर पहनरा’ नामक अनुष्ठान संपन्न किया जाता है. इसके तहत पुरी के गजपति राजा पालकी में यहां आते हैं और इन तीनों रथों की विधिवत पूजा करते हैं और ‘सोने की झाड़ू’ से रथ मण्डप और रास्ते को साफ करते हैं.

आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है. कहते हैं, जिन्हें रथ को खींचने का अवसर प्राप्त होता है, वह महाभाग्यवान माना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, रथ खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है. शायद यही बात भक्तों में उत्साह, उमंग और अपार श्रद्धा का संचार करती है.

जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा शुरू होकर पुरी नगर से गुजरते हुए ये रथ गुंडीचा मंदिर पहुंचता है. यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा सात दिनों के लिए विश्राम करते हैं. गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को ‘आड़प-दर्शन’ कहा जाता है.

गुंडीचा मंदिर को ‘गुंडीचा बाड़ी’ भी कहते हैं. यह भगवान की मौसी का घर है. इस मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहीं पर देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी की प्रतिमाओं का निर्माण किया था.

अहमदाबाद में भी मनेगा जगन्नाथ रथयात्रा

शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का 139वां संस्करण आज आयोजित किया जाएगा जिसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. चूंकि रथ यात्रा कुछ सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों से निकलेगी, उन इलाकों में स्थानीय पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के 18,000 से अधिक कर्मी तैनात किए जाएंगे.

पुलिस ने कहा कि रथ यात्रा में किसी तरह का व्यवधान पैदा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए 10,000 असामाजिक तत्वों के खिलाफ ऐतिहातन हिरासत और तडी पार जैसी कार्रवाई शुरू की गई है. भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यह रथ यात्रा सुबह करीब 7:30 बजे जमालपुर में 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से निकलेगी.

Next Article

Exit mobile version