तीन आदि शक्तियां
वर्तमान में टीवी धारावाहिकों में देवी-देवताओं को जिस तरह से दिखाया जा रहा है, यह कहीं से भी मुझे उचित नहीं लगता. मां पार्वती का उदाहरण लें, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और ईश्वरीय शक्ति हैं. मां पार्वती को एक ऐसी महिला के रूप में दिखाया जाता है, जो अक्सर आवेश में आ जाती […]
वर्तमान में टीवी धारावाहिकों में देवी-देवताओं को जिस तरह से दिखाया जा रहा है, यह कहीं से भी मुझे उचित नहीं लगता. मां पार्वती का उदाहरण लें, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और ईश्वरीय शक्ति हैं. मां पार्वती को एक ऐसी महिला के रूप में दिखाया जाता है, जो अक्सर आवेश में आ जाती है और जरा-जरा सी बात पर परेशान हो जाती है. ये सब दैवी गुण नहीं हैं.
धैर्य, प्रसन्नता, सहजता और पूर्व ज्ञान आदि दैवी गुण हैं. धारावाहिक निर्माताओं को सही-सही दैवी गुणों को दिखाना चाहिए. ब्रह्मांड में दैवी और राक्षसी दोनों प्रकार की शक्तियां हैं, लेकिन धारावाहिक इस तथ्य की अवहेलना करते हैं. जो दैवी चरित्र हैं, उन्हें ये मानव की तरह प्रस्तुत करते हैं. वह भी साधारण मानव की तरह नहीं, बल्कि ऐसे लोगों की तरह, जिनका आचरण नकारात्मक और दयनीय होता है. दूसरी बात यह है कि हमें यह मान कर नहीं चलना चाहिए कि जो धारावाहिक में दिखाया जा रहा है, वही सच है.
हमें इन कथाओं के पीछे छुपे हुए सार को समझना होगा, नहीं तो ये सब मनोरंजन का एक साधन मात्र बन कर रह जायेंगे. अब जैसे एक धारावाहिक में जलंधर नाम का एक असुर उभर कर आता है. अब जब कि इस जगत में कण-कण में शिव हैं, तो यह राक्षसी शक्ति कहां से आ गयी? जब इस ब्रह्मांड में शिव के अलावा कुछ भी नहीं है, तो यह असुर भी शिव से ही आया होगा. हमें यह समझना होगा कि जो भी असुरी शक्तियां हैं, वे ब्रह्म का ही हिस्सा हैं. क्रोध का उदय शांतिमय शिव तत्व से हुआ, पर क्रोध यहीं आकर रुक नहीं गया.
भगवान शिव के क्रोध ने एक असुर का रूप धारण कर लिया, जो कि ईश्वर के क्रोध के विनाशकारी स्वरूप का प्रकटीकरण था. क्रोध की उत्पत्ति स्वयं ईश्वर से ही क्यूं न हुई हो, इसकी प्रतिक्रिया होगी और उस व्यक्ति के पास वापस आयेगी. हरेक चीज जहां से शुरू होती है, वहां वापस आती है, और क्रोध इसका अपवाद नहीं है. भगवान शिव चैतन्य के शांत पक्ष का प्रतीक हैं, जबकि आदि शक्ति वह ऊर्जा हैं, जिसने समस्त विश्व की संरचना की है. आदि शक्ति तीन ऊर्जाओं या शक्तियों का संचय है- ज्ञान शक्ति, क्रिया शक्ति और इच्छा शक्ति.
– श्री श्री रविशंकर