वंदे महानंदमनदलीलं महेश्वरं सर्वाविभूं महान्तम!!
गौरीप्रियं कार्तिक विंधराजसमुदभवं शंकरमादि देवं!!
अर्थात जो परमानंदमय हैं जिनकी लीलाएं अनंत है. जो ईश्वरों के भी ईश्वर हैं. सर्वव्यापक महान मां गौरी के प्रियतम तथा स्वामी कार्तिकेय और विघ्नराज गणेश को उत्पन्न करने वाले हैं, उन आदि देव शंकर की वंदना करता हूं. शिवलिंग पुराण में एक कथा का वर्णन मिलता है कि शिवलिंग के आदि व अंत का पता लगाने की बारी आयी तो ब्रह्मा जी बोले कि मैंने ज्योतिर्लिंग का पता लगा लिया है. जिसकी साक्षी केतकी फुल है. उसी समय आकाशवाणी हुई कि ब्रह्मा व केतकी असत्यवादी हैं, आकाशवाणी सुनकर भगवान विष्णु व ब्रह्मा जी विचार करने लगे यह आकाशवाणी करने वाला कौन हो सकता है.
उनके संशय को दूर करने के लिए भगवान भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए और बोले कि हे ब्रह्मा व विष्णु, आप लोग व्यर्थ का अनावश्यक विवाद कर रहे हैं. वास्तव में मैं ही सृष्टि का स्वामी आदित्य रूप में हूं. ब्रह्ममा, विष्णु व महेश मेरे ही रूप हैं. बम के अस्तित्व व यथार्थ रूप का ज्ञान कराने के लिये ही मैंने उस ज्योतिर्लिंग को प्रकट किया था. इसके बाद बम रूप में प्रकट होकर शिव ने ब्रह्मा को शाप देकर कहा कि तुमने मिथ्या का सहारा लिया. इसलिए संपूर्ण ब्रह्माण्ड में तुम्हारी कभी पूजा नहीं होगी.
केतकी ने भी असत्य में तुम्हारा साथ दिया, इसलिए मेरी पूजा में इसका कोई स्थान नहीं होगा. जो कोई भी केतकी के फल से मेरी पूजा करेगा, उसे इसका दंड भुगतना होगा. उन्होंने भगवान विष्णु से कहा था कि श्रवण मास सभी मासों में श्रेष्ठ मास है इस माह में जो कोई मेरी गंगा जल, बिल्व पत्र से पूजा करेगा, उसे सहज ही मेरा सान्निध्य प्राप्त होगा. नियमित रूप से पूरे माह बिल्व पत्र व गंगाजल से पूजा करने पर शिवलोक की प्राप्ति होगी.