तंत्र शास्त्र में दस महाविद्याओं का सर्वोच्च स्थान है. ये दस महाविद्याएं सूक्ष्मत: आदि शक्ति या मूल प्रकृति के दस रूप हैं.
!!सति देहा समुदभवा दस महाविद्याणां शिवश्च प्रियम्!!
अर्थात सति के देह से उत्पन्न हुई दस महाविद्या भगवान शिव को अतिप्रिय हैं. जो भी इन महाविद्याओं की अराधना करते हैं उन्हें दस महाविद्याएं अभिश्ठ फल प्रदान करने के साथ धन धान्य से सुखी संपन्न करती है. इन महाविद्याओं की साधना बड़े बड़े ऋषि मुनियों द्वारा किये जाने का स्पष्ट वर्णन मिलता है. जिनकी अराधना से मोक्ष की प्राप्ति की थी.
काली तारा महाविद्या शोडषी भुवनेश्वरी ।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धुमावती तथा।।
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका।
एता दस महाविद्या सिद्धिविद्या प्रकृतिता।।
प्राणतोषिणी तंत्र में इसका वर्णन मिलता है. अर्थात काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धुमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला ये दस महाविद्याएं हैं. जिसे निगम वेद में विराट विद्या कहते हैं. आगम तंत्र में उसे महाविद्या कहते हैं. दक्षिण व वाम मार्ग के लोग दस महाविद्या की उपासना एवं अराधना कर सर्वसिद्धि प्राप्त करते हैं. जिनके ध्यान का मंत्र इस प्रकार है:-
मां काली का ध्यान : ॐ कालिकायै विदमहे श्मशान वासिन्यै धीमही तन्नो अघोरा प्राचोदयात.
मां तारा का ध्यान मंत्र : ॐ तारायै विदमहे विदमहे महोग्रायै तन्नो देवी प्रचोदयात.
मां त्रिपुरसुंदरी का ध्यान मंत्र : ऐं त्रिपुरादेव्यै विदमहे क्लीं कामेश्वर्यै धीमही तन्न: क्लिन्नै प्रचोदयात.
मां भुवनेश्वरी का ध्यान मंत्र : ॐ नारायण्यै विदमहे भवनेश्वर्यै तन्नो देवी प्रचोदयात.
मां भैरवी का ध्यान मंत्र : ॐ त्रिपुरायै विदमहे महा भैरव्यै धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात.
मां छिन्नमस्तिका का ध्यान मंत्र : ॐ वैरोचनायै विदमहे छिन्नमस्तायै धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात.
मां धुमावती का ध्यान मंत्र : ॐ धुमावत्यै विदमहे संहारिण्यै धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात.
मां बगलामुखी का ध्यान मंत्र : ॐ हलीं ब्रह्मास्त्राय विदमहे स्तम्भन वाणाय धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात.
मां कमला का ध्यान मंत्र : ॐ महादेव्यै विदमहे बश्णिु पत्र्यै धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात.
नोट: किसी भी मंत्र के जाप से पहले मां गायत्री मंत्र का जाप नितांत आवश्यक माना गया है. इसके जाप के बिना महाविद्या के वास्तविक स्वरूप का दर्शन नहीं होता. पद्म पुराण के सृष्टि संहिता में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि –
गायत्री सर्वदेवानाम, जननी सर्वदेवानां गायत्री परमांगना.