प्राण ऊर्जा का उद्गम

हमारे शरीर में जो प्राण है, उसका उद्गम स्थान अंतरिक्ष है. अंतरिक्ष से हमारे प्राण ऊर्जा का तार शरीर से जुड़ा रहता है, इसलिए जीवधारी जीवित रहता है. उस तार के टूटते ही जीव मर जाता है. यही तथ्य हमारे जीवन और मृत्यु का रहस्य है. योग हमें यही सिखाता है कि मनुष्य किस तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2016 5:17 AM

हमारे शरीर में जो प्राण है, उसका उद्गम स्थान अंतरिक्ष है. अंतरिक्ष से हमारे प्राण ऊर्जा का तार शरीर से जुड़ा रहता है, इसलिए जीवधारी जीवित रहता है. उस तार के टूटते ही जीव मर जाता है. यही तथ्य हमारे जीवन और मृत्यु का रहस्य है. योग हमें यही सिखाता है कि मनुष्य किस तरह से अंतरिक्ष से प्राण ऊर्जा ग्रहण करता है. जिसके शरीर में जितनी अधिक प्राण ऊर्जा रहती है, वह उतना ही अधिक शक्तिशाली, उत्साहित, प्रसन्न और स्वस्थ रहता है.

लेकिन, जिनके शरीर में प्राण ऊर्जा की कमी होने लगती है, उनके जीवन से शक्ति, उत्साह, चमक और चेहरे की लाली कम होने लगती है. इसलिए अध्यात्म में कहा जाता है कि जो जितना अधिक आशावादी रहते हैं, प्रसन्न रहते हैं, वे उतने ही अधिक दीर्घायु बनते हैं.

परमात्मा तो सबको जीवित रखना चाहता है, लेकिन जो व्यक्ति अंतरिक्ष की प्राण ऊर्जा से जितनी अधिक मजबूती से जुड़ा रहता है, वह उतना ही अधिक स्वस्थ है और दीर्घायु रहता है. कौन व्यक्ति कितनी निष्ठा से अंतरिक्ष से जुड़ा है, इसी पर निर्भर करता है कि वह कितना अधिक दीर्घायु बनना चाहता है. आलसी और कायर लोग ही परमात्मा से जीवन की भिक्षा मांगते हैं. योग में एक और महत्वपूर्ण प्रयास यह किया जाता है कि मन को पॉजिटिव बनायें. योग के माध्यम से मन में के सभी निगेटिव विचारों का नाश किया जाता है. आपकी प्राण ऊर्जा निराशा, तनाव, अकारण चिंता से घायल होकर क्षतिग्रस्त न हो, इसके लिए शरीर के सभी अंगों को दिव्य प्राण ऊर्जा से पोषण किया जाता है.

प्राण के पोषण को प्राणायाम कहते हैं. मनुष्य अपने प्राण को अनंत के महाप्राण से जोड़े रहे, प्राणायाम उसी का प्रशिक्षण देता है. दीर्घकाल तक शरीर में प्राण ऊर्जा संरक्षित रखने के लिए शरीर को स्वस्थ और प्रसन्न रखना अनिवार्य है. आशावादी दृष्टि और प्रसन्नता से प्राण ऊर्जा बढ़ती रहती है. आप प्रयोग करके देखें. जब आप प्रसन्न रहते हैं, तो जीवन में उत्साह रहता है, किसी भी काम को करने में खुशी होती है. प्राण शक्ति के संचय के लिए मनुष्य की प्रसन्नता अमृत का काम करती है. दूसरी ओर, जो लोग हमेशा उदास रहते हैं, उनकी जीवनी शक्ति घटती रहती है.

– आचार्य सुदर्शन

Next Article

Exit mobile version