साधना का प्रारंभ

आध्यात्मिक मार्ग बाधाओं से भरा हुआ है. एक बाधा पर विजय प्राप्त करते ही दूसरी प्रकट हो जाती है. यदि आप स्वाद-इंद्रिय को नियंत्रित करेंगे, तो पायेंगे कि कोई दूसरी इंद्रिय दोगुनी शक्ति से आप पर हमला करने के लिए तैयार खड़ी है. यदि आप लोभ को दूर करेंगे, तो क्रोध आपको धक्का मार कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2016 6:35 AM

आध्यात्मिक मार्ग बाधाओं से भरा हुआ है. एक बाधा पर विजय प्राप्त करते ही दूसरी प्रकट हो जाती है. यदि आप स्वाद-इंद्रिय को नियंत्रित करेंगे, तो पायेंगे कि कोई दूसरी इंद्रिय दोगुनी शक्ति से आप पर हमला करने के लिए तैयार खड़ी है. यदि आप लोभ को दूर करेंगे, तो क्रोध आपको धक्का मार कर गिराने हेतु तैयार रहेगा. यदि आप अहंकार को एक दरवाजे से बाहर करेंगे, तो वह दूसरे दरवाजे से अंदर आ जायेगा. आध्यात्मिक मार्ग पर अपार धैर्य, अध्यवसाय, सावधानी एवं निर्भयता जैसे गुणों की नितांत आवश्यकता है. वर्तमान में जीयें, कार्य करें तथा प्रसन्न रहें. प्रतिदिन आपके अनमोल जीवन का एक अंश आपके हाथ से निकलता जा रहा है. अत: आप उत्साहपूर्वक साधना में निमग्न हो जायें. अर्थहीन पश्चाताप का शिकार न हों. आज का दिन सर्वोत्तम दिन है. तत्काल साधना प्रारंभ करें.

पुरानी गलतियों और कमियों को अलविदा कहें. नयी आशा, दृढ़ संकल्प एवं सतर्कता के साथ आज और अभी अपनी आध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ करें. निरर्थक कार्यों या अकर्मण्यता में समय नष्ट न करके कुछ ठोस साधनाएं करें. आपके अंदर अनंत शक्ति का भंडार है, अत: हतोत्साहित न हों. बाधाएं तो सफलता के सोपान हैं. वे आपकी संकल्प-शक्ति को बढ़ाती हैं. आप उनसे परास्त न हों. यदि आप ऐसा सोचते हैं कि ‘मैं तब स्नान करूंगा, जब समुद्र की समस्त लहरें शांत हो जायेंगी’, तो यह संभव नहीं है. सागर की लहरें कदापि शांत नहीं होंगी और आप कभी भी स्नान न कर सकेंगे.

इसी प्रकार यदि आप सोचते हैं कि ‘मैं आध्यात्मिक साधना तब प्रारंभ करूंगा, जब मेरी सभी चिंताएं और परेशानियां समाप्त हो जायेंगी, मेरे सभी पुत्र-पुत्रियां जीवन में व्यवस्थित हो जायेंगे और अवकाश प्राप्ति के बाद मुझे पर्याप्त समय मिलेगा’, तो ऐसा होना संभव नहीं है. वृद्धावस्था पाने के बाद आप आधे घंटे के लिए भी स्थिर नहीं बैठ सकेंगे, आप में किसी प्रकार की कठोर तपस्या या साधना की क्षमता नहीं रहेगी. आप युवावस्था में ही गहन आध्यात्मिक साधना कीजिए, चाहे आपकी परिस्थिति या वातावरण जैसा भी हो. तभी वृद्धवस्था में आपको पर्याप्त आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होंगे.

– स्वामी शिवानंद सरस्वती

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