मन की सकारात्मकता

संसार में दूसरों के साथ आपका रिश्ता कैसा है, यह आपके जीवन की गुणवत्ता को निर्णय करनेवाले घटकों में प्रमुख स्थान रखता है. यहां आपको नाना प्रकार के लोगों से पाला पड़ता है. एक छोटे से चौकोर कमरे में केवल एक सहयोगी के साथ बैठ कर काम करना पड़े, तो समस्याओं से निपटना आसान होता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2016 12:28 AM
संसार में दूसरों के साथ आपका रिश्ता कैसा है, यह आपके जीवन की गुणवत्ता को निर्णय करनेवाले घटकों में प्रमुख स्थान रखता है. यहां आपको नाना प्रकार के लोगों से पाला पड़ता है. एक छोटे से चौकोर कमरे में केवल एक सहयोगी के साथ बैठ कर काम करना पड़े, तो समस्याओं से निपटना आसान होता है.
लेकिन सैकड़ों कर्मचारियों को निभाने की नौबत आने पर आपको कई विचित्र अनुभव मिलेंगे. बेशक आप प्रमुख व्यक्ति हो सकते हैं. मगर, यदि आप चाहते हैं कि सभी कर्मचारी आपको समझें और आपके मन के अनुसार काम करें, तो इसमें आपको भारी निराशा ही हाथ लगेगी.
यह स्थिति इसलिए पैदा नहीं हुई कि दूसरे लोग आपको समझ नहीं पाये, बल्कि इसलिए उत्पन्न हुई कि आप दूसरों को समझ नहीं पाये.
कर्मचारियों से ही क्यों, निकट के कई संबंधियों से भी कई बार आपको निराशा मिली होगी. एक बार किसी महिला ने महीनों तक ‘कोमा’ की स्थिति में चले गये अपने पति की बड़ी निष्ठा और लगन के साथ सेवा-टहल की.
जब पति को एक दिन होश आया, उसने अपनी पत्नी को पास में बुलाया और कहा- ‘संकट की हर घड़ी में तुमने मेरा साथ दिया.जब मेरी नौकरी चली गयी तुमने आशाजनक वचन बोल कर मुझे दिलासा दिया. फिर मैंने अपना बिजनेस शुरू किया, उसमें नुकसान-दर-नुकसान होने पर तुमने रात-दिन काम करके पैसा कमाया और परिवार चलाया था. मुकदमें में जब हमारे मकान की कुर्की हो गयी, तब भी तुमने अपना मन छोटा किये बिना हमेशा के लिए मेरे साथ छोटे घर में रहने के लिए चली आयी. आज अस्पताल के इस बिस्तर पर भी तुम मेरे साथ रहती हो.
पता है, तुम्हें देखते हुए मेरे मन में कौन-सा ख्याल आता है?’
वह व्यक्ति अपनी पत्नी से धीमी आवाज में बोल रहा था. पत्नी की आंखों में आनंद के आंसू थे; उसने पति के हाथों को थाम लिया. पति ने कहा…- ‘मुझे लगता है तुम हमेशा मेरे साथ रहती हो, इसी वजह से मेरे ऊपर एक के बाद एक संकट आ रहे हैं.’ इस तरह बातों को उल्टे दिमाग से गलत ढंग से समझनेवाले लोगों के साथ कौन-सा रिश्ता स्थायी रह सकता है? इसलिए हर चीज को मन की सकारात्मकता से देखें.
– सद्गुरु जग्गी वासुदेव

Next Article

Exit mobile version