मन की क्षमता-अक्षमता

आपने ‘आध्यात्मिकता’ नामक शब्द को सुना है. आध्यात्मिकता नामक शब्द भी आपके अपने मन के कारण ही है. अपने मन के कारण ही आप समझ पा रहे हैं कि मैं आपसे क्या बात कर रहा हूं. अत: जो आपका मित्र है, आप उसे अपना शत्रु मत बनाइये. कृपया आप अपने जीवन को गौर से देखिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2016 1:36 AM

आपने ‘आध्यात्मिकता’ नामक शब्द को सुना है. आध्यात्मिकता नामक शब्द भी आपके अपने मन के कारण ही है. अपने मन के कारण ही आप समझ पा रहे हैं कि मैं आपसे क्या बात कर रहा हूं. अत: जो आपका मित्र है, आप उसे अपना शत्रु मत बनाइये. कृपया आप अपने जीवन को गौर से देखिए और फिर मुझे बताइए कि आपका मन आपका शत्रु है या मित्र?

इस भौतिक जीवन में आप जो भी हैं, अपने मन के कारण ही हैं. आप अपना हाल बुरा कर लेते हैं, या किसी परेशानी में पड़ जाते हैं, तो वह सब आपकी ही वजह से होता है. अगर आप इसके बिना जीना चाहते हैं, तो यह बहुत सरल है.

बस अपने सिर पर जोर से चोट कीजिये. दरअसल, मन कोई समस्या नहीं है. समस्या यह है कि आपको इसे संभालना नहीं आता. इसलिए मन का दोष न देखें, यह देखें कि आप कितनी अक्षमता से इसके साथ पेश आ रहे हैं. अगर आप किसी चीज को समझे या जाने बिना, उससे पेश आने की कोशिश करते हैं, तो यह आपके लिए परेशानी का कारण ही बनेगी. उदाहरण के तौर पर देखें, तो मैं अगर आपसे चावल उगाने की बात करूं, तो आपको क्या लगता है कि यह एक बहुत बड़ी बात है? एक सीधा-सादा किसान भी धान उगा लेता है.

लेकिन, अगर मैं आपको सौ ग्राम चावल, खाद और बाकी सब कुछ दे दूं और कहूं कि आप मुझे एक एकड़ जमीन में धान उगा कर दिखाइये, तो आप देखेंगे कि आपकी क्या हालत हो जायेगी. इसकी वजह यह नहीं है कि धान उगाना कोई मुश्किलभरा काम है, बल्कि इसकी वजह यह है कि आपको यह काम करना नहीं आता है, इसलिए आपकी हालत बिगड़ जायेगी.

सारी परेशानी की जड़ यही है. ठीक इसी तरह, किसी खाली जगह की तरह मन को खाली रखना भी मुश्किल काम नहीं है, यह सबसे आसान काम है, पर आपको इसकी समझ नहीं है, इसलिए ऐसा करना कठिन लगता है. जीवन इस तरह काम नहीं करता. अगर आप किसी काम को अच्छी तरह करने की योग्यता पाना चाहते हैं, तो आपको उसे अच्छी तरह समझना होगा. वरना, आप एकाध बार चाहे दुर्घटनावश सफल हो भी जायें, पर हर बार आप सफल नहीं होंगे.

– सद्गुरु जग्गी वासुदेव

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