ईश्वर की थाह
ईश्वर की गूढ़ता की थाह ले पाना हमारे लिए असंभव है. ईश्वर के सत्य का अनुभव कभी-कभी तब होता है, जब हम पूर्णतः मौन में होते हैं, जब हमारा मन प्रक्षेपण में रत नहीं होता, जब हम अंदर ही अंदर खुद से ही युद्ध और संघर्ष की स्थिति में नहीं होते. जब मन निश्चल होता […]
ईश्वर की गूढ़ता की थाह ले पाना हमारे लिए असंभव है. ईश्वर के सत्य का अनुभव कभी-कभी तब होता है, जब हम पूर्णतः मौन में होते हैं, जब हमारा मन प्रक्षेपण में रत नहीं होता, जब हम अंदर ही अंदर खुद से ही युद्ध और संघर्ष की स्थिति में नहीं होते. जब मन निश्चल होता है शायद तब हम जान पाते हैं कि ईश्वर क्या है?
इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कम उम्र से ही हम ईश्वर शब्द में अटकें नहीं, ईश्वर के बारे में हमें दूसरों द्वारा जो कुछ भी बताया समझाया जाता है, उसे स्वीकारें नहीं. लाखों लोग हैं, जो ईश्वर के संबंध में आपको सिखाने, बताने, समझाने के लिए उत्सुक हैं, परंतु हमें यह करना है कि जो कुछ भी वे कहें, हम उस सबकी जांच करें. इसी तरह कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो कहते हैं ईश्वर वगैरह कुछ नहीं होता- तो हम इन लोगों की भी ना सुनें, पर बारीकी और सावधानी से हर बात की जांच पड़ताल करें.
न तो विश्वास करनेवालों पर अंधविश्वास करें, न ही ईश्वर को नकारनेवाले को ही मानें. जब हमारा मन विश्वास और अविश्वास दोनों से ही आजाद होता है, तब मन निश्चल होता है, केवल तभी संभावना बनती है कि ईश्वर संबंधित सत्य का बोध हो सके. इन सब पहलुओं के बारे में खुले मन से सोचने समझने की जरूरत है, इन सब के बारे में किसी व्यक्ति को कहां से शुरुआत करनी है, क्योंकि यह सब कोई नहीं बताता. जब आप किसी महान गुरुनुमा व्यक्ति के पास जाते हैं, तो वह आपको सिद्ध करके बताने की कोशिश करेगा कि ईश्वर है, वह कई विधियां बतायेगा कि किस-किस तरह से क्या-क्या करने पर, यह मंत्र जपो तो यह होगा, इस प्रकार पूजा करो तो यह होगा, इस व्रत-उपवास का पालन करने पर यह परिणाम होगा आदि.
यह सब करने के बाद भी आप पायेंगे कि जो प्राप्त होगा, वह ईश्वर नहीं. आपको वही प्राप्त होगा, जिस चीज को आपका मन प्रक्षेपित कर रहा है, जिस चीज की रचना मन कर रहा है, यह सब आपकी मानसिक इच्छाओं की ही एक छवि होगी, पर ईश्वर कदापि नहीं. तो ईश्वर उसके बारे में जानना-समझना इतना भी सरल नहीं है. ईश्वर संबंधित बातों को जानने-समझने के लिए बहुत अधिक चिंतन-मनन खोजबीन की जरूरत है. इसके लिए सबसे पहले अपने आपको सारे पूर्वाग्रहों से मुक्त करना होगा.
– जे कृष्णमूर्ति