Santoshi Mata Aarti lyrics: शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और मां संतोषी को समर्पित होता है. इस दिन मां संतोषी की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. विवाहित स्त्रियां मां संतोषी के निमित्त व्रत उपवास भी रखती हैं. अगर आप भी मां संतोषी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा करने के बाद आरती जरुर करें. माता संतोषी जी की पूजा करने के बाद आरती पढ़ने पर ही पूजा पूरी होती है.
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
अपने सेवक जन को सुख संपति दाता ॥
सुंदर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हों ।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हों ॥
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे ।
मंदर हंसत करूणामयी, त्रिभुवन मन मोहे ।।
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे ।
धूप, दीप,नैवैद्य,मधुमेवा, भोग धरें न्यारे ॥
गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ॥
शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही ।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही ॥
मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई ॥
भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै ॥
दुखी,दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए ।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए ॥
ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो ॥
शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे ।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे ॥
संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे ।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे ॥
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