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Chitragupta Aarti in hindi: इस चित्रगुप्त पूजा पर जरूर करें इस आरती का पाठ, मिलेगी नर्क से मुक्ति

Chitragupta Puja 2024, Shri Chitragupt Ji Ki Aarti: आज 3 नवंबर 2024 को चित्रगुप्त पूजा की जा रही है. चित्रगुप्त महाराज की आराधना कायस्थ समुदाय द्वारा दीपावली के उपरांत यम द्वितीया के दिन की जाती है. यह मान्यता है कि चित्रगुप्त महाराज सभी व्यक्तियों के कार्यों का लेखा-जोखा रखते हैं. पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि चित्रगुप्त महाराज सृष्टि के न्यायाधीश माने जाते हैं और उनकी पूजा विधिपूर्वक करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

Chitragupta Puja 2024, Shri Chitragupt Ji Ki Aarti: आज 03 नवंबर 2024 रविवार को चित्रगुप्त पूजा की जा रही है. भगवान चित्रगुप्त को देवलोक में धर्म के अधिकारी के रूप में जाना जाता है. उनका प्राकट्योत्सव यम द्वितिया के दिन मनाया जाता है. चूंकि भगवान चित्रगुप्त का संबंध लेखन से है, इस दिन कलम और दवात की पूजा का विशेष महत्व है. भगवान चित्रगुप्त का उल्लेख पद्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्मपुराण, यमसंहिता और याज्ञवलक्य स्मृति जैसे धार्मिक ग्रंथों में किया गया है. यह माना जाता है कि चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की काया से हुई है, जिसके कारण उनके वंश को कायस्थ कहा जाता है. चित्रगुप्त की पूजा में उनकी स्तुति और आरती का पाठ करना अनिवार्य है. ऐसा करने से भक्त को ज्ञान, संपत्ति और नर्क से मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है.

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श्री चित्रगुप्त आरती

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे .
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी .
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै .
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी .
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै .
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये .
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा .
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता .
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी .
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं .
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते .
‘नानक’ शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे .
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥

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