Loading election data...

Ganesh ji ki Aarti: जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा… इस आरती के बिना विनायक चतुर्थी व्रत पूजा मानी जाती है अधूरी, पढ़ें पूरी आरती

Ganesh ji ki Aarti: विनायक चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा के बाद आरती जरूर करनी चाहिए. गणेश जी की आरती इस प्रकार है-

By Radheshyam Kushwaha | July 9, 2024 9:44 AM
an image

Ganesh ji ki Aarti: आज विनायक चतुर्थी है. विनायक चतुर्थी व्रत भगवान गणपति जी को समर्पित है. धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, धन और सौभाग्य प्राप्त होता है. विनायक चतुर्थी व्रत रखकर पूजा करने पर जीवन की सारी मुश्किलें खत्म हो जाती है. वहीं विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा नहीं की जाती है. क्योंकि इस दिन जो व्यक्ति चंद्रमा को देख लेता है तो झूठ का कलंक लगता है. इस साल आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी बहुत खास मानी जा रही है. क्योकि आज 3 शुभ संयोग में भगवान गणेश जी की पूजा की जा रही है. विनायक चतुर्थी व्रत पूजा आरती के बिना अधूरी मानी जाती है. आइए जानते है विनायक चतुर्थी व्रत पूजा आरती

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

Also Read : बुधवार के दिन जरूर करें बुद्धि और ज्ञान के देवता गणेश जी की आरती

Also Read: Vinayaka Chaturthi 2024 Date: आषाढ़ विनायक चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और चंद्रोदय का सही समय

गणेश जी की आरती

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

गणेश जी का मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥.

विनायक चतुर्थी पूजा मंत्र
ऊँ सुमुखाय नम:
ऊँ एकदंताय नम:
ऊँ गणाध्यक्षाय नम:

Exit mobile version