Adhik Maas Purnima 2020: आज 1 अक्टूबर दिन गुरुवार को अधिक मास की पूर्णिमा है. धार्मिक रूप से यह तिथि अपने आप में महत्वपूर्ण है. इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा, दान-पुण्य व पवित्र नदी में स्नान का विधान है. अधिक मास पूर्णिमा व्रत उद्यापन विधि जानकर आप इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकतें हैं. अधिक मास पूर्णिमा का व्रत बिना उद्यापन विधि के पूर्ण नहीं हो सकता है.
इस बार अधिकमास की पूर्णिमा के दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है. 1 अक्टूबर को पूर्णिमा तिथि अर्धरात्रि के बाद तक रहेगी. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में वृद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग और गुरुवार के संयोग ने इसे और भी प्रभावशाली बना दिया है. इस पूर्णिमा पर स्नान करने से न व्यक्ति अपने जीवन के कई लाभों को प्राप्त कर सकता है. इसके अलावा अधिक मास में यदि कोई भी धार्मिक कार्य किया जाता है तो उसके कई गुना फल प्राप्त होते हैं, तो आइए जानते हैं अधिक मास पूर्णिमा व्रत नियम, उद्यापन विधि और इसका महत्व…
– अधिक मास पूर्णिमा व्रत का उद्यापन करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय होने से पहले उठकर तारों की छांव में किसी पवित्र नदी पर जाकर स्नान अवश्य करना चाहिए. यदि वह व्यक्ति किसी त्रिवेणी में जाकर स्नान करता है तो उसके लिए काफी शुभ होगा.
– इसके बाद बिना सीले वस्त्र ही धारण करें. फिर वस्त्र धारण करने के बाद एक चौकी को अच्छी तरह से गंगाजल से धो लें और इसके बाद उस पर पीला वस्त्र बिछाएं. फिर कलश स्थापित करें और भगवान गणेश और सत्यनारायण भगवान की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें.
– मूर्ति स्थापित करने के बाद चौकी के दोनों ओर केले के पत्तों से लगाएं और नवग्रहों की स्थापना करें.
– इसके बाद भगवान सत्यनारायण को पंचामृत से स्नान कराएं और सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें.
– भगवान गणेश के पूजन के बाद सत्यानारायण जी को पीले फूलों का हार पहनाएं और उन्हें पांच फल, पांच मेवा, नैवेद्य, पीला वस्त्र और तुलसी दल विशेष रूप से अर्पित करें.
– इसके बाद घी का दीपक जलाएं और उनकी पूरे विधि विधान से पूजा करें साथ ही उनकी कथा पढ़ें या सुनें.
– कथा के बाद भगवान सत्यनारायण की घी के दीपक से आरती उतारे और उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं.
– इसके बाद हवन करें. हवन करने के दौरान चावल, गूगल और हवन सामग्री अवश्य ही अर्पित करें और लगातार गायत्री मंत्र का जाप करते रहें.
– जब आप का हवन भी संपन्न हो जाए तो आपको 11 ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन कराना चाहिए और उन्हें पांच वस्त्र,तिल, काला कंबल, स्वर्ण आदि दक्षिणा सहित देने चाहिए. यदि आप ग्यारह ब्राह्मणों को भोजन नहीं करा सकते तो आप एक ब्राह्मण को बुलाकर भी उसे भोजन कराकर दक्षिणा दे सकते हैं.
– इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद गाय को भोजन अवश्य कराएं क्योंकि गाय को भोजन कराए। इस प्रकार उद्यापन करने के बाद रात को हरि कीर्तन अवश्य करें.
News posted by : Radheshyam kushwaha