12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Ahoi Ashtami 2024 Vrat Katha: अहोई अष्‍टमी आज, जरूर सुनें अहोई माता की यह व्रत कथा, पूरी होगी हर मनोकामना

Ahoi Ashtami 2024 Vrat Katha: आज 24 अक्टूबर 2024 को अहोई अष्टमी मनाई जा रही है. अहोई अष्टमी के व्रत में पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का श्रवण करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है.यह विश्वास है कि इस कथा को सुनने के बाद ही व्रत का समापन होता है. यहां अहोई अष्टमी की व्रत कथा देखें.

Ahoi Ashtami 2024 Vrat Katha: आज 24 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को अहोई अष्टमी मनाई जा रही है. अहोई अष्टमी का व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह व्रत करवाचौथ के चार दिन बाद और दीपावली से आठ दिन पूर्व आता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु और समृद्धि की कामना के लिए व्रत करती हैं.

अहोई अष्‍टमी व्रत कथा का है विशेष महत्व

अहोई अष्‍टमी के व्रत में पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का श्रवण करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह मान्यता है कि इस कथा को सुनने के पश्चात ही व्रत का समापन होता है. माताएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और फिर अपराह्न के समय अहोई माता की पूजा करती हैं. शाम को तारे देखकर उन्हें अर्घ्‍य देकर व्रत का समापन करती हैं. आइए, हम अहोई अष्‍टमी की व्रत कथा को विस्तार से जानते हैं.

Ahoi Ashtami Aarti: अहोई अष्‍टमी पर करें अहोई माता की आरती का पाठ, पूरी होगी हर मनोकामना

अहोई अष्टमी व्रत कथा

एक नगर में एक साहूकार निवास करता था, जिसके सात पुत्र, सात बहुएं और एक पुत्री थी. दीपावली से पूर्व कार्तिक बदी अष्टमी के दिन, सभी बहुएं अपनी एकमात्र नंद के साथ जंगल में मिट्टी लेने गईं. जहां वे मिट्टी खोद रही थीं, वहीं स्याऊ–सेहे की मांद थी. मिट्टी खोदते समय नंद के हाथ सेही का बच्चा मर गया.


स्याऊ माता ने कहा, “अब मैं तुम्हारी कोख को बांध दूँगी.”


तब नंद ने अपनी सभी भाभियों से कहा कि वे में से कोई उसकी जगह अपनी कोख बंधवा ले. सभी भाभियों ने कोख बंधवाने से मना कर दिया, लेकिन छोटी भाभी सोचने लगी कि यदि वह कोख नहीं बंधवाएगी तो सासू जी नाराज होंगी. इस विचार से, नंद के स्थान पर छोटी भाभी ने अपनी कोख बंधवा ली. इसके बाद, जब भी उसे बच्चा होता, वह सात दिन बाद मर जाता.


एक दिन साहूकार की पत्नी ने पंडित जी को आमंत्रित कर पूछा, “क्यों मेरी बहु की संतानें हमेशा सातवें दिन क्यों मर जाती हैं?”


पंडित जी ने बहु से कहा, “तुम्हें काली गाय की पूजा करनी चाहिए. काली गाय स्याऊ माता की बहन है, यदि वह तुम्हारी कोख को स्वीकार कर लेगी, तो तुम्हारा बच्चा जीवित रहेगा.”


इसके बाद, वह बहु हर सुबह उठकर चुपचाप काली गाय के नीचे सफाई करने लगी.


एक दिन गौ माता ने कहा, “आज मैं देखूंगी कि कौन मेरी सेवा कर रहा है.” गौ माता सुबह जल्दी जागी और देखा कि साहूकार के बेटे की बहु उसके नीचे सफाई कर रही है.


गौ माता ने उससे पूछा, “तुझे किस चीज की इच्छा है कि तुम मेरी इतनी सेवा कर रही हो?”


मांग क्या होती है? तब साहूकार की पत्नी ने कहा कि स्याऊ माता तुम्हारी बहन हैं और उन्होंने मेरी कोख को बांध रखा है, कृपया मेरी कोख को खोलने का प्रयास करें.


गौ माता ने उत्तर दिया – ठीक है, तब गौ माता सात समुद्रों को पार करके अपनी बहन के पास उसे ले जाने लगी. रास्ते में तेज धूप थी, इसलिए दोनों एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगीं. थोड़ी देर बाद एक सांप आया और उसी पेड़ पर गरुड़ पंखनी के बच्चे थे, जिन्हें वह मारने लगा. तब साहूकार की पत्नी ने सांप को मारकर उसे ढाल के नीचे दबा दिया और बच्चों की रक्षा की. कुछ समय बाद गरुड़ पंखनी आई और वहां खून देखकर साहूकार की पत्नी को चोंच से हमला करने लगी.
तब साहूकारनी ने कहा – मैंने तेरे बच्चे को नहीं मारा है, बल्कि सांप तेरे बच्चे को डसने आया था. मैंने तो तेरे बच्चों की रक्षा की है.


यह सुनकर गरुड़ पंखनी प्रसन्न होकर बोली, मांग, तुम क्या चाहती हो?


वह बोली, सात समुद्रों के पार स्याऊ माता निवास करती हैं. कृपया मुझे उनके पास ले चलें. तब गरुड़ पंखनी ने दोनों को अपनी पीठ पर बैठाकर स्याऊ माता के पास पहुंचा दिया.


स्याऊ माता ने उन्हें देखकर कहा, “आ बहन, बहुत समय बाद आई हो.” फिर उन्होंने कहा, “मेरे सिर में जूं पड़ गई है.” सुरही के कहने पर साहूकार की बहू ने सिलाई से उनकी जुएँ निकाल दीं. इस पर स्याऊ माता प्रसन्न होकर बोलीं, “तेरे सात बेटे और सात बहुएं होंगी.”


साहूकारनी ने कहा, “मेरे तो एक भी बेटा नहीं है, सात कहाँ से होंगे?”


स्याऊ माता बोलीं, “यदि मैं वचन दूं और उसे तोड़ूं, तो धोबी के कुंड पर कंकरी बन जाऊं.”


तब साहूकार की बहू ने कहा, “माता, मेरी कोख तो तुम्हारे पास बंद पड़ी है.”


यह सुनकर स्याऊ माता ने कहा, “तूने मुझे धोखा दिया है. यदि मैं तेरी कोख खोलती, तो ऐसा नहीं करती, लेकिन अब मुझे यह करना पड़ेगा. जा, तेरे घर में तुझे सात बेटे और सात बहुएं मिलेंगी. तू जाकर उजमान कर. सात अहोई बना और सात कड़ाई कर.” जब वह घर लौटी, तो देखा कि वहाँ सात बेटे और सात बहुएँ बैठी हैं, जिससे वह अत्यंत प्रसन्न हुई. उसने सात अहोई बनाई, सात उजमान किए और सात कड़ाई की. दिवाली के दिन जेठानियां आपस में चर्चा करने लगीं कि जल्दी पूजा कर लो, कहीं छोटी बहू बच्चों को याद करके रोने न लगे.


कुछ समय बाद उन्होंने अपने बच्चों से कहा, “अपनी चाची के घर जाकर देख आओ कि वह अभी तक क्यों नहीं रोई..?”
बच्चों ने जाकर देखा और वापस आकर कहा कि चाची तो कुछ मांड रही हैं, वहाँ खूब उजमान हो रहा है. यह सुनते ही जेठानियां दौड़कर उसके घर गईं और पूछने लगीं, “तुमने कोख कैसे छुड़ाई?”


उसने उत्तर दिया, “तुमने तो कोख बंधाई नहीं! मैंने बंधा ली, अब स्याऊ माता ने कृपा करके मेरी को खोल दी हैं.”

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें