अजा एकादशी व्रत रवि पुष्य योग में 10 सितंबर दिन रविवार को है. अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है.
Aja Ekadashi 2023 | social media
धार्मिक मान्यता के अनुसार, अजा एकादशी व्रत करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है. मृत्यु के बाद व्यक्ति को वैकुंठ में स्थान मिलता है. आइए जानते है पूजा विधि और व्रत नियम
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<ul><li>अजा एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए</li><li>अजा एकादशी व्रत में रात को सोना नहीं चाहिए</li><li>व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भाक्ति,मंत्र जप और जागरण करना चाहिए.</li></ul>
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<ul><li>एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए.</li><li>इस दिन क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए.</li><li>एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए.</li></ul>
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इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति, प्रतिमा या उनके चित्र को स्थापित कर विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए.
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पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. इसके साथ ही प्रसाद, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल देवताओं को अर्पित करने चाहिए.
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पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें. अगली सुबह यानि द्वादशी पर पूजा के बाद भोजन का सेवन करने के बाद अजा एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए.
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श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान पूजा सामग्री में जरूर शामिल करें.
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