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Aja Ekadashi 2024: अजा एकादशी पर मिलेगा पुण्य फल, जानिए सही मुहूर्त और पूजा विधि

Aja Ekadashi 2024: अजा एकादशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. साथ ही इस दिन इन सभी योगों का संयोग सिद्धि योग के साथ हो रहा है.

By Shaurya Punj | August 18, 2024 2:33 PM

Aja Ekadashi 2024: अजा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है. यह व्रत न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है. अजा एकादशी का व्रत रखने से शरीर शुद्ध होता है और मन की शांति प्राप्त होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है.

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अजा एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है ?

अजा एकादशी का व्रत रखने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष अजा एकादशी तिथि 29 अगस्त की देर रात 01 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 30 अगस्त की रात 01 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, अजा एकादशी 29 अगस्त को मनाई जाएगी. व्रत रखने वाले भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे और उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे. व्रत का पारण 30 अगस्त को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 40 मिनट के बीच किया जा सकता है. इस अवधि में व्रत तोड़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

अजा एकादशी का शुभ योग क्या है ?

इस वर्ष अजा एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इसे और भी विशेष बनाते हैं. सिद्धि योग 29 अगस्त को संध्याकाल 06 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. यह योग विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिसमें की गई पूजा और व्रत का फल अत्यधिक होता है. इसके अलावा, सर्वार्थ सिद्धि योग 29 अगस्त को संध्याकाल 04 बजकर 39 मिनट से लेकर 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगा. इस योग में की गई पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

अजा एकादशी की पूजा विधि क्या है ?

अजा एकादशी के दिन पूजा की विधि का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाकर उनका श्रृंगार करना चाहिए. पूजा के दौरान भगवान को पीले फूल, तुलसी दल, फल, और मिठाई अर्पित करें. शंख, घंटा और मंत्रों का जाप करें. रात्रि के समय जागरण करें और भगवान विष्णु की कथा का श्रवण करें. अगले दिन व्रत का पारण ब्राह्मण को भोजन और दान देकर करें. इस विधि से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्रत का पूर्ण फल मिलता है.

भगवान शिव का आशीर्वाद

अजा एकादशी की तिथि पर भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. भगवान शिव के आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. शिव की पूजा के लिए भक्त गण विशेष रूप से बेलपत्र, धतूरा, और भस्म अर्पित करते हैं. भगवान शिव की कृपा से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है.

व्रत के नियम

अजा एकादशी का व्रत रखते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए. इस दिन निराहार व्रत रखना या केवल फलाहार करना चाहिए. शास्त्रों का पाठ करना चाहिए और भजन-कीर्तन में भाग लेना चाहिए. व्रत के दौरान मन में किसी प्रकार का बुरा विचार नहीं लाना चाहिए और सदैव सत्य बोलना चाहिए. दूसरों की सेवा करने से व्रत का फल और भी अधिक होता है. यह व्रत शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है.

अजा एकादशी का व्यापक महत्व

अजा एकादशी का व्रत केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है. इस व्रत के माध्यम से शरीर को शुद्ध किया जा सकता है और मन को शांत किया जा सकता है. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, इस व्रत को करने से आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है. इसलिए, अजा एकादशी के इस पावन अवसर पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें और जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भरपूर बनाएं.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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