Anant Chaturdashi 2020 : अनंत चतुर्दशी आज, जानें व्रत नियम, पूजा विधि, मंत्र और इसका महत्व के बारे में
Anant Chaturdashi 2020 : अनंत चतुर्दशी 01 सितंबर 2020 को है. हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का बड़ा महत्व है, इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चततुर्दशी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र को बांधने से जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इस दिन कई जगहों पर धार्मिक झांकियां निकाली जाती है.
Anant Chaturdashi 2020 Mein Kab Hai: आज भाद्रपद शुक्लपक्ष त्रयोदशी दिन-08:30 उपरांत चतुर्दशी हो जाएगा. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. इस साल अनंत चतुर्दशी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं. जिनमें अनंत चतुर्दशी की पूजा का कई गुना लाभ प्राप्त कर सकते हैं. इस दिन सबसे पहला शुभ संयोग सुबह 9 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 56 मिनट तक रहेगा, जिसमें आप अनंत चतुर्दशी की पूजा कर सकते हैं.
यदि आप इस मुहूर्त में अनंत चतुर्दशी की पूजा नहीं कर पाए तो आप दिन में दोपहर 3 बजकर 32 मिनट से शाम 5 बजकर 07 मिनट पर पूजा कर सकते हैं. अनंत चतुर्दशी आज दिन मंगलवार 01 सितंबर 2020 को है. हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का बड़ा महत्व है, इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चततुर्दशी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र को बांधने से जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इस दिन कई जगहों पर धार्मिक झांकियां निकाली जाती है.
अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु, यमुना नदी और शेषनाग जी की पूजा की जाती है. शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत मनुष्य को जीवन के सभी कष्टों से बाहर निकलता है. लेकिन अनंत चतुर्दशी व्रत के नियमों का पालन किए बिना आप इसे पूर्ण नहीं कर सकते हैं और न हीं इसके शुभफलों को प्राप्त कर सकते है. अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से पहले आपको इस व्रत के नियम अवश्य ही जान लेनी चाहिए तो आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी व्रत के नियम, पूजा विधि और शुभ समय…
अनंत चतुर्दशी व्रत के नियम
– अंनत चतुर्दशी का व्रत करने वाले साधक को ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए और स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
– इस दिन भगवान विष्णु, माता यमुना और शेषनाग जी की पूजा की जाती है, इसलिए इनकी पूजा अवश्य करें.
– अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के साथ कलश के रूप में माता यमुना और दूर्वा के रूप में शेषनाग जी को स्थापित करें
– इस दिन अनंत सूत्र भी धारण किया जाता है, इसलिए पूजा के समय 14 गांठों वाला अनंत धागा भगवान विष्णु के चरणों में अवश्य रखें, इसके बाद ही इसे धारण करें
– अनंत चतुर्दशी के दिन आपको अनंत चतुर्दशी की कथा अवश्य सुननी और पढ़नी चाहिए
– यदि आपने अनंत चतुर्दशी का व्रत किया है तो आपको इस दिन झूठ बिल्कुल भी नहीं बोलना चाहिए और न हीं किसी की निंदा करनी चाहिए.
– अगर आपने अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत किया है तो आपको अनंत धागे को साल भर अवश्य बांधना चाहिए, यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो कम से कम 14 दिन तक जरूर बांधे.
– अनंत चतुर्दशी के दिन यदि आपने व्रत किया है तो आपको इस दिन नमक का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए आपको इस दिन मीठा ही भोजन करना चाहिए.
– इस दिन आपको सिर्फ एक ही समय भोजन करना चाहिए, क्योंकि अनंत चतुर्दशी के व्रत में केवल पारण के समय ही भोजन किया जाता है.
– अनंत चतुर्दशी के दिन आपको निर्धन व्यक्ति और ब्राह्मण को भोजन कराकर अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए.
पूजा विधि
इस दिन सुबह सुबह स्नान कर साफ सुथरे कपडे़ पहन लें. उसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें. कलश पर कुश से बने अनंत की स्थापना करें. आप अगर चाहें तो भगवान विष्णु की प्रतीमा भी लगा सकते हैं. अब एक डोरी या धागे में कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बना लें, जिसमें 14 गांठें लगाएं. इस सूत्र को भगवान विष्णु को अर्पित करें. अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें.
इस मंत्र का करें जाप
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
पूजन के बाद इस अनंत सूत्र को अपनी बाजू पर बांध लें. इस बात का ध्यान रखें कि अनंत सूत्र पुरुष अपने दाएं हाथ पर और महिलाएं बाएं हाथ पर बांधे. ऐसा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें.
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त
आज भाद्रपद शुक्लपक्ष त्रयोदशी दिन-08 बजकर 30 मिनट के उपरांत चतुर्दशी हो जाएगा. इस दिन सबसे पहला शुभ संयोग सुबह 9 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 56 मिनट तक रहेगा
अनंत चतुर्दशी का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई. यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी. इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे. इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है. धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है. भारत के कई राज्यों में इस व्रत का प्रचलन है. इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनी जाती है.
News Posted by: Radheshyam kushwaha