Ashadh Gupt Navratri Navami 2024: विवाह-मुंडन और गृह प्रवेश के लिए बेहद खास है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी, आज बिना मुहूर्त देखें किए जाएंगे सभी मांगलिक कार्य

Gupt Navratri Navami 2024: इस साल 2024 में गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि 15 जुलाई 2024 दिन सोमवार को है. गुप्त नवरात्रि में आने वाली नवमी तिथि ऐसी होती है, जिसे अबूझ मुहूर्त कहा गया है. इस अबूझ मुहूर्त में तिथि और नक्षत्र को देखे बिना किसी भी तरह का मांगलिक कार्य किया जा सकता है.

By Radheshyam Kushwaha | July 15, 2024 6:20 AM

Ashadh Gupt Navratri Navami 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 6 जुलाई को हुई थी, जिसका समापन 16 जुलाई को होने वाला है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है. गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है. आज 15 जुलाई 2024 दिन सोमवार को आषाढ़ शुक्ल नवमी है, इसे भड़ली नवमी कहते हैं. इस साल 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड़ रही है. इस दिन श्रीहरि विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं और सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है. देवशयनी एकादशी से पहले आने वाली भड़ली नवमी को अबुझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नए काम की शुरुआत कर सकते हैं. इस दिन बिना मुहूर्त देखें भी मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं. ज्योतिष के अनुसार अबूझ मुहूर्त होने पर बिना नक्षत्र, तिथि, मुहूर्त देखे सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, आदि किए जा सकते हैं.

भड़ली नवमी आज

भड़ली नवमी गुप्त नवरात्रि की अंतिम तिथि होती है. भड़ली नवमी पर गणेश जी, शिव जी और देवी दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, छाता, जूते-चप्पल, कपड़े का दान करना चाहिए. इस दिन गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें. चंदन का तिलक लगाएं. फिर ऊँ गं गणेशाय नम: मंत्र का जप करें. इसके बाद दूर्वा और लड्डू चढ़ाएं. फिर धूप-दीप जलाकर आरती हैं.

आज सोमवार का दिन बेहद खास

शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं, इसके बाद पंचामृत अर्पित करें. फिर दही, घी, मिश्री और शहद मिलाकर बनाया जाता है. शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद चंदन का लेप करें. फिर बिल्व पत्र, हार-फूल, आंकड़े के फूल, धतूरा आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं. दीपक जलाएं और ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जप करें. मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल करें. शिव जी के साथ ही देवी पार्वती की भी पूजा करें. देवी मां को लाल चुनरी और लाल फूल चढ़ाएं.

गुप्त नवरात्रि में की जाती है महाविद्याओं की साधना

गुप्त नवरात्रि में देवी सती की महाविद्याओं के लिए साधना की जाती है. ये साधनाएं तंत्र-मंत्र से जुड़े साधक ही करते हैं. इन दस महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं.

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दो ऋतुओं के संधिकाल में आती है नवरात्रि

नवरात्रि का संबंध ऋतुओं से है, जब दो ऋतुओं का संधिकाल रहता है, उस समय देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है. संधिकाल यानी एक ऋतु के खत्म होने का और दूसरी ऋतु के शुरू होने का समय होता है. एक साल में चार बार ऋतुओं के संधिकाल में नवरात्रि आती है.

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