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August 2021 Vrat Tyohar: इस अगस्त माह रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, तीज समेत कई व्रत-त्योहार, जानें तिथि व महत्व

August Festival List 2021, August 2021 Vrat Tyohar: अगस्त 2021 में कई प्रमुख व्रत-त्योहार पड़ने वाले हैं. 22 अगस्त तक तो सावन ही मनायी जाएगी. इसके अलावा इस माह रक्षाबंधन, हरियाली तीज, कृष्ण जन्माष्टमी, रक्षा बंधन, सावन शिवरात्रि, नागपंचमी, एकादशी जैसे कई पर्व पड़ रहे है...

August Festival List 2021, August 2021 Vrat Tyohar: अगस्त 2021 में कई प्रमुख व्रत-त्योहार पड़ने वाले हैं. 22 अगस्त तक तो सावन ही मनायी जाएगी. इसके अलावा इस माह रक्षाबंधन, हरियाली तीज, कृष्ण जन्माष्टमी, रक्षा बंधन, सावन शिवरात्रि, नागपंचमी, एकादशी जैसे कई पर्व पड़ रहे है…

कामिका एकादशी 2021 (Kamika Ekadashi 2021)

4 अगस्त, बुधवार को कामिका एकादशी व्रत रखा जाना है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है, जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यह व्रत सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ेगी. इस व्रत को सर्वप्रथम मुनि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को तो श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी. जिससे उन्हें पापों से मुक्ति मिली व मोक्ष का मार्ग प्राप्त हुआ.

प्रदोष व्रत 2021 (Pradosh Vrat 2021)

सावन का पहला प्रदोष व्रत 5 अगस्त, गुरुवार को पड़ रहा है. हर माह 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्रत में भगवान शिव की आराधना की जाती है, उनका व्रत रखकर भक्त सौभाग्य, संतान व सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.

सावन शिवरात्रि 2021 (Sawan Shivratri 2021)

सावन माह में सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. जो इस बार 6 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है. जिसका पारण 7 अगस्त को होगा. इस दिन भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा होती है. मान्यता है कि व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती है.

सावन शिवरात्रि व्रत की तिथि व पूजा मुहूर्त

  • सावन शिवरात्रि व्रत तिथि: 6 अगस्त 2021, शुक्रवार

  • निशिता काल पूजा मुहूर्त आरंभ: 7 अगस्त 2021, शनिवार की सुबह 12 बजकर 06 मिनट से

  • निशिता काल पूजा मुहूर्त समाप्त: 7 अगस्त 2021, शनिवार की सुबह 12 बजकर 48 मिनट तक

  • पूजा की अवधि: केवल 43 मिनट तक

  • सावन शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त: 7 अगस्त, शनिवार की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक

हरियाली तीज 2021 (Hariyali Teej 2021)

जब धरती पर चारों ओर हरियाली होती है तब हरियाली तीज व्रत रखा जाता है. यह सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. जो इस बार 11 अगस्त, बुधवार को पड़ रहा है. जिसमें सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन सोलह श्रृंगार करके अपने सुहाग की लंबी आयु व दीर्घायु की कामना करती हैं.

नाग पंचमी 2021 (Nag Panchami 2021)

सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 13 अगस्त, शुक्रवार को नाग पंचमी व्रत रखा जाएगा. इस दिन नागों की पूजा की जाती है. पंचमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं. शाम में पूजा करते हैं. इस दिन चांदी, सोना, लकड़ी मिट्टी की कलम व हल्दी चंदन की स्याही से पांच फन वाले नाग बनाए जाते हैं. उन्हें दूध दी, पंचामृत, खीर, कमल आदि से पूजा जाता है. फिर ब्राह्मणों को लड्डू, खीर आदि का भोग करवाया जाता है.

श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत

श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत भी कहा जाता है. इस बार सावन माह की यह एकादशी 18 अगस्त, बुधवार को पड़ रही है. मुख्य रूप से पुत्र प्राप्ति के लिए यह एकादशी व्रत महिलाएं करती हैं. यही कारण है कि इस व्रत का नाम पुत्रदा एकादशी व्रत पड़ा है.

ओणम पर्व 2021

ओणम पर्व दक्षिण भारत का सबसे प्राचीन व पारंपरिक पर्व है. जिसे मुख्य रूप से केरल में 10 दिनों तक मनाया जाता है. इस बार यह व्रत 21 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है. इस दौरान कई पारंपरिक कार्यक्रम होते है. खासकर सभी पुरुष खुद को चीते के रंग में रंगते हैं. सड़कों पर नृत्य करते नजर आते हैं. जो प्ले ऑफ द टाइगर के नाम से भी प्रचलित है.

रक्षाबंधन 2021 (Raksha Bandhan 2021)

सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन मनाने की परंपरा है. इस बार रक्षाबंधन 22 अगस्त, रविवार को पड़ रही है. हालांकि पूर्णिमा की तिथि 21 अगस्त की शाम से ही शुरू हो जाएगी. आपको बता दें कि पूर्व में ब्राह्मण यजमानों को रक्षा सूत्र बांधकर ईश्वर से उनकी दीर्घायु और सुख संपन्नता की कामना करते थे. लेकिन अब के दौर में बहनें अपने भाइयों की कलाईयों में यह रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. साथ ही साथ भाई भी बहनों की रक्षा का वादा करते हैं.

जन्माष्टमी 2021 (Janmashtami 2021)

कृष्ण कन्हैया के सबसे बड़े पर्व जन्माष्टमी की तिथि भी इसी अगस्त, भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि को पड़ रही है. जो 30 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी. इस दिन मध्यरात्रि में सभी श्रद्धालु कन्हैया के बाल स्वरूप की कथा सुनते हैं मटकी से लेकर बांसूरी, झूले तक सजाते हैं. उनके चमत्कार कथाओं को सुन उनके आगमन का इंतजार करते है. ऐसी मान्यता है कि इससे पापों का नाश होता है तथा घर में सुख शांति व धन-एश्वर्य की प्राप्ति होती है.

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Posted By: Sumit Kumar Verma

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