August festival 2020: अगस्त महीने की शुरुआत सावन मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के साथ हो रही है. इस साल अगस्त महीने में कई बड़े त्योहार पड़ रहे है. अगस्त महीने की शुरुआत शनि प्रदोष व्रत, रक्षाबंधन, सावन का पांचवा सोमवार, जैसे बड़ त्योहार से हो रहा है. 1 अगस्त को प्रदोष व्रत, 3 अगस्त को रक्षा बंधन, सावन मास का आखिरी सोमवार है तो वहीं 12 अगस्त को जन्माष्टमी, स्वतंत्रता दिवस, गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार इस माह में आने वाले हैं.
ये सभी व्रत और त्योहार देशभर में मनाए जाएंगे, इनका धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से काफी महत्व है. इस बार अगस्त का महीने इसलिए भी खास है क्योंकि इस माह मे दो एकादशी, अजा और परिवर्तिनी एकादशी पड़ रहा हैं, इसलिए यह महीना भक्तों के लिए भी बड़ा उत्तम माना जा रहा है. आइए जानते हैं इस माह कौन से त्योहार आने वाले हैं और उनका धार्मिक महत्व क्या है…
सावन मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को शनि प्रदोष का व्रत है. इस बार यह शुभ तिथि 1 अगस्त दिन शनिवार यानि कल मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत जब शनिवार को पड़ता है तब इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. यह व्रत प्रति माह में दो बार त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है.
अगस्त यानि कल मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-जुहा यानी बकरीद मनाई जाएगी. इस दिन मुसलमानों के घर कुर्बानी देने की प्रथा है. हालांकि इस बार कोरोना वायरस के चलते घरों में ईद का त्योहार मनाया जाएगा.
श्रावण पूर्णिमा का पर्व 3 अगस्त 2020 को है. धार्मिक दृष्टि से श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. श्रावण पूर्णिमा के दिन ही भाई-बहन का पावन उत्सव रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए उन्हें राखी बांधती है.
6 अगस्त को इस बार कजरी तीज का त्योहार पड़ रहा है. कजरी तीज भादो के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, इसे भादो तीज भी कहा जाता है, इस व्रत में भी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु का कामना में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधिवत रूप से करती है. कजरी तीज इस बार 6 अगस्त को मनाई जाएगी.
7 अगस्त को संकष्टी चतुर्थी व्रत है. संकष्टी चतुर्थी से आशय संकट को रहने वाली चतुर्थी तिथि से है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि संकष्टि के दिन गणपति की पूजा-आराधना करने से समस्त प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं.
जन्माष्टमी इस बार 12 अगस्त को मनायी जाएगी. जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था. जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार कोरोना वायरस के कारण यह पर्व अपने घरों में ही मनाना पड़ेगा.
अजा एकादशी व्रत 15 अगस्त को रखा जाएगा. हर साल यह व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. यह व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्टों से मु्क्ति मिलती है. इस दिन रात्रि में जागरण करते हुए भगवान का ध्यान किया जाता है.
15 अगस्त को हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी. इस दिन पूरे देशभर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.
16 अगस्त को कृष्ण प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है. यह व्रत प्रति माह में दो बार त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है.
17 अगस्त को मासिक शिवरात्रि में व्रत रखा जाएगा. यह व्रत प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है.
भाद्रपद अमावस्या 19 अगस्त को पड़ रहा है. इस अमावस्या को पिठौरी व कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर अमावस्या पर पितर तर्पण किया जाता है और इसका अपना एक विशेष महत्व होता है.
21 अगस्त को हरतालिका तीज पड़ रहा है. यह पर्व भाद्रपद मास की तृतीया को हरतालिका तीज मनाया जाता है. इस बार यह तिथि 21 अगस्त को पड़ रही है. इस दिन महिलाएं और लड़कियां सारा दिन निर्जला रह कर सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त करती हैं. हरतालिका तीज का व्रत बहुत ही कठिन होता है और इसे महिलाएं बहुत ही आस्था के साथ करती हैं.
गणेश चतुर्थी पर्व 22 अगस्त शनिवार के दिन मनाया जाएगा. गणेश जी का जन्म भादप्रद माह के शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी को हुआ था. इसलिए हर साल यह पर्व इसी दिन मनाया जाता है.
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस बार यह तिथि 29 अगस्त को पड़ रही है.
30 अगस्त को कृष्ण प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है. यह व्रत प्रति माह में दो बार त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में पड़ता है.
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