Bakrid 2024 Date: देशभर में आज मनाई जा रही है बकरीद? जानें ईद-अल-अज़हा पर कुर्बानी देने का महत्व

Bakrid 2024 Date: आज देशभर में बकरीद मनाई जा रही है. बकरीद का पर्व दुनिया भर के मुसलमान पैगम्बर इब्राहीम द्वारा अल्लाह को दिए गए बलिदान की याद के रूप में मनाते हैं. आइए जानते है बकरीद से जुड़ी प्रमुख बातें-

By Radheshyam Kushwaha | June 17, 2024 7:05 AM

Bakrid 2024 Date in India: बकरीद का पर्व मुस्लिम सामुदाय के महत्वपूर्ण त्योहारों में प्रमुख है. बकरीद दुनिया भर के मुसलमान पैगम्बर इब्राहीम द्वारा अल्लाह में दृढ़ विश्वास के कारण दिए गए बलिदान की याद के रूप में मनाते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के 12वें और अंतिम महीने, 1445, धुल् हिज्जा के चांद के दिखने पर निर्भर है. जानकारी के अनुसार इस दिन दुनिया भर के मुसलमान देश के हिसाब से ईद-उल-अज़हा को दो से चार दिनों तक मनाते हैं. इस बार बकरीद का पर्व 17 जून 2024 दिन सोमवार को मनाया जा रहा है. ईद-अल-अज़हा ईद-उल-फितर की तरह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. आइए जानते है बकरीद पर कुर्बानी दने के नियम क्या है-

कब है बकरीद 2024?

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, 12वें महीने जु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है. इस बार बकरीद आज मनाई जा रही है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अन्य दक्षिण एशियाई देशों और दक्षिण अफ्रीका में ईद-उल-अजहा खाड़ी मुल्कों से एक दिन बाद यानी 17 जून, 2024 को मनाई जा रही है, क्योंकि इन क्षेत्रों में 07 जून को धू-अल-हिजाह का चांद देखा गया था. हालांकि, हर देश में ईद-उल-अजहा की तारीख अलग-अलग होती है, क्योंकि ये त्योहार भी बाकी के इस्लामिक त्योहारों की तरह चांद दिखने पर निर्भर करता है.

बकरीद में है कुर्बानी देने का नियम

ईद-उल-अज़हा के दिन किसी जानवर की कुर्बानी देने का विधान है. अल्लाह की राह में पशुओं की कुर्बानी देना एक महान इबादत माना जाता है. कुर्बानी तय की गई तिथियों में ही दी जानी चाहिए. ज़ुल हिज्जा की 10वीं तारीख को ईद की नमाज़ के बाद और 13 ज़ुल हिज्जा के सूर्यास्त से पहले ही कुर्बानी दे सकते हैं. इस दौरान आप बकरा के अलावा ऊंट, भैंस, भेड़, बकरी आदि की कुर्बानी दे सकते हैं. धार्मिक मान्यता है कि भेड़ और बकरी को एक ही कुर्बानी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. जबकि ऊंट को सात लोगों के बीच साझा कर सकते हैं. कर्बानी के लिए कभी भी पशु के बच्चों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. कुर्बानी देने वाले व्यक्ति को अल्लाह के नाम पर कुर्बानी देने की नियत होनी चाहिए. कहा जाता है कि जो व्यक्ति कुर्बानी देगा, वह ज़ुल कदाह के आखिरी दिन सूरज डूबने के बाद से लेकर बकरीद के दिन तक कुर्बानी देने तक अपने शरीर का कोई बाल, नाखून या फिर किसी तरह से स्किन नहीं हटा सकता है.

Also Read: Saptahik Rashifal 16 to 22 June 2024: इन 5 राशि वालों के लिए यह सप्ताह रहेगा बेहद खास, पढ़ें मेष से मीन तक का सप्ताहिक राशिफल

तीन भागों में बांटा जाता है कुर्बान किया हुआ जानवर

तीन भागों में बांटा जाता है कुर्बान किया हुआ जानवरईद-उल-अज़हा के दिन किसी जानवर की कुर्बानी देने सबसे जरूरी माना जाता है. ये न केवल पैगम्बर इब्राहीम की बल्कि हमारे पैगम्बर मोहम्मद की भी पक्की सुन्नत है. बकरीद में जिस जानवर की कुर्बानी दी जाती है. उसे तीन भागों में बांटा जाता है. पहला भाग घर के लिए, दूसरा भाग करीबियों या पड़ोसियों के लिए और तीसरा भाग गरीबों को दिया जाता है.

Next Article

Exit mobile version