Basant Panchami 2021 Date, Time, Saraswati Puja Vidhi Mantra, Shubh Muhurat, Vasant Panchami Importance, History: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल बसंत पंचमी 16 फरवरी 2021 को मनाई जाएगी. जैसा की ज्ञात हो इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. हर वर्ष यह पर्व माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष 29 जनवरी को ही माघ महीना आरंभ हो गया था. 16 की सुबह 3:36 पर पंचमी तिथि का आरंभ हो रहा है जो 17 फरवरी की सुबह 5:46 तक रहेगा. ऐसे में आइए जानते हैं बसंत पंचमी में सरस्वती पूजा का क्या है महत्व, पूजा विधि व मान्यताएं.Basant Panchami 2021 LIVE Update के लिए बने रहें Prabhat Khabar के साथ.
बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा मनाने को लेकर कई मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि इसी दिन के बाद से सर्दी ऋतु का समाप्त होना शुरू हो जाता है. वहीं, ग्रीष्म यानी गर्मी के मौसम का आगमन हो जाता है. ऐसे में दिन बड़े और रात छोटी होने लगती हैं.
वसंत पंचमी का प्रकृति लिहाज से विशेष महत्व होता है. इस दौरान प्रकृति के नए रंग देखने को मिलते हैं. जो लोगों में नई ऊर्जा भरने का कार्य करता है. दरअसल, इस दौरान पेड़-पौधे में नए पत्ते व फल उगने शुरू हो जाते हैं. वहीं पुराने पत्तों का झड़ना भी शुरू हो जाता है.
बसंत पंचमी तिथि: 16 फरवरी 2021
पंचमी तिथि आरंभ मुहूर्त: 16 फरवरी 2021 की सुबह 03 बजकर 36 मिनट से
पंचमी तिथि समाप्ति मुहूर्त: 17 फरवरी 2021 को दोपहर 05 बजकर 46 मिनट तक
सरस्वती पूजा का शुभ मुहुर्त: 16 फरवरी 2021 को सुबह 06:59 से दोपहर 12:35 मिनट तक
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वसंत पंचमी के दिन झारखंड, बिहार, बंगाल समेत देश के कई हिस्सों में व शिक्षक संस्थानों में भी सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है.
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इस दिन सुबह उठकर नहा धोकर विद्या की देवी मां सरस्वती को सबसे पहले फूल अर्पित करना चाहिए,
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फिर वाद्य यंत्र व किताबों को मूर्ति या मां की तसवीर के समक्ष रखकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए,
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नन्हे बच्चों को अक्षर का पहला ज्ञान इसी दिन से दिलवाएं, साथ ही साथ उन्हें किताबें व पेन पेंसिल आदि भेंट करें,
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याद रहे कि इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनकर ही पूजा करें, इसे बेहद शुभ माना गया है.
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साथ ही साथ पीले चावल या पीली भोग को ही चढ़ाएं. इनमें खिचड़ी, लड्डू आदि प्रसाद के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
Posted By: Sumit Kumar Verma