Basant Panchami 2021: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है. इस दिन शादी-विवाह करना शुभ होता है. इस साल ग्रहों का तालमेल ठीक नहीं होने के कारण 17 अप्रैल तक शादी के लिए शुभ दिन नहीं है. लेकिन विवाह की उत्सुकता से प्रतीक्षा करने वालों के लिए बसंत पंचमी का दिन शुभ रहेगा. इस दिन दूल्हे घोड़ी चढ़ सकेंगे और दुल्हनें डोली पर सवार हो सकेंगी.
इस दिन कई सामाजिक संस्थाएं सामूहिक विवाहों का आयोजन करने की तैयारी की है. इस साल बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि तथा रवियोग एक साथ बन रहा है. मंगलवार के दिन बसंत पंचमी होने के कारण मंगलकारी भी होगा. वहीं, मकर राशि में 4 ग्रह-गुरु, शनि, शुक्र तथा बुध एक साथ होंगे और मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे.
ये सब मीन राशि व रेवती नक्षत्र के अधीन होगा. बसंत पंचमी के दिन आपको माता सरस्वती की पूजा के लिए कुल 05 घंटे 47 मिनट का समय मिलेगा. आपको इसके मध्य ही सरस्वती पूजा करनी चाहिए. 16 फरवरी की सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच सरस्वती पूजा का मुहूर्त बन रहा है.
-
16 फरवरी दिन मंगलवार
-
पूजा मुहूर्त 16 फरवरी की सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
-
अवधि- 05 घण्टे 37 मिनट
-
बसन्त पंचमी मध्याह्न का क्षण 12 बजकर 35 मिनट
-
पंचमी तिथि प्रारम्भ 16 फरवरी को 03 बजकर 36 मिनट पर
-
पंचमी तिथि समाप्त 17 फरवरी की सुबह 05 बजकर 46 मिनट
-
इस दिन सगाई या विवाह कर सकते हैं.
-
इस दिन नया कारोबार आरंभ कर सकते हैं.
-
इस दिन गृह प्रवेश, मकान की नींव डाल सकते हैं.
-
इस दिन नया वाहन, बर्तन ,सोना, घर, नए वस्त्र, आभूषण,वाद्य यंत्र, म्युजिक सिस्टम आदि खरीदने का शुभ दिन है.
-
इस दिन किसी नए कोर्स में एडमिशन, विदेश जाने के लिए आवेदन या संबंधित परीक्षा देने पर शुभ रहेगा.
-
लांग अर्म इन्वेस्टमेंट, दीर्घकालीन निवेश, बीमा पालिसी, बैंक खाता खोलवाना शुभ रहेगा.
-
कोई नवीन कार्य आरंभ करें, शिक्षा या संगीत से संबंधित शुभ रहेगा.
बसंत पंचमी के दिन पेन, कॉपी, किताबों की भी पूजा की जाती है. ऐसा करने से देवी सरस्वती वरदान प्रदान करती हैं. भारत देश के सरस्वती, विष्णु और शिव मंदिरों में इस त्योहार का उत्साह सर्वाधिक होता है. अधिकांश स्थानों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जो मुख्यतः संबंधित देवी-देवता को ही समर्पित होते हैं.
-
इस दिन प्रात: काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें.
-
मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखकर कलश स्थापित करें.
-
इसके बाद माता सरस्वती और भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें.
-
मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं
-
फिर माता का श्रृंगार कराएं और उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं.
-
प्रसाद के रूप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढा सकते हैं.
-
इसके बाद श्वेत फूल माता को अर्पण करें
-
विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें.
-
संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगाकर मां की आराधना करें
-
देवी सरस्वती के इस मन्त्र का जाप करने से ‘‘श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” असीम पुण्य मिलता है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha